मरघट पवित्र स्थान जिसमें विराजे अनंत शिव ...
मैं भी जा बसूं मरघट में, अनंत सत्य मृत्यु पश्चात ...-
5 दिसंबर
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... बड़ी भीड़ सी है, तुम्हे चाहने वालों की, हे परम आराध्य शिव ...
... और मैं सबसे पीछे, डर है कहीं बिना मिले ही सब खत्म न हो जाए ...-
... प्रेम और वैराग्य लेकर कोई जन्म नहीं लेता बैरागी ...
... शिव में विलीन होने के लिए शिव में लीन होना पड़ता है ...-
जिस भविष्य की चिंता निरंतर तुम्हें खाए जा रही है, उस में तुम हो ही नहीं ...
यथार्थ जीवन जीना सीखो कामनाओं और महत्वक्षाओं से बाहर निकल कर ...-
किस्मत के सहारे कभी चला ही कहां है बैरागी ...
उसने तो बस शिव का नाम लिया और चल दिया ...-
... जब मन ही नहीं लगा तब शांत हो गया ...
... छोड़ के सब दुनिया फिर एकांत हो गया ...
... हुआ एकांत ऐसा की बैरागी बन गया ...
... उस शिव शंभो की शरण पाकर शिवांश बन गया ...-
... मरघट जैसे पवित्र स्थान को एक बार तो अपनाओ ...
... प्रकृति शिव से जोड़ रही है तो बिन सोचे जुड़ जाओ ...-
तीर्थ में ही क्यों ढूंढते हो शिव को बैरागी ...
शिव तो वहां भी है जहां तुम गुनाह करते हो ...-
... जब शिव बसे चित्त में हुआ मैं बैरागी ...
... सब रिश्ते नाते विसार अब प्रत्येक इच्छा ही त्यागी ...-
... कण कण में शिव बसे, हर कण को शिव की आस ...
... हर कण मैंने ढूंढा शिव को, और शिव थे मेरे पास ...-