Baghel   (Damini singh)
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Joined 13 February 2019


Joined 13 February 2019
16 FEB AT 4:32

सब कुछ टूट कर बिखरा पड़ा है सामने,
है बस में में इतना भी नहीं,
की समेट कर सब कुछ आग ही लगा दूं।

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1 NOV 2024 AT 5:20

है जगमग सारा शहर जब,
है मुमकिन के फिर भी धुंधला ही दिखे सब?

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26 AUG 2024 AT 5:30

हैं मोहब्बत के फलसफे तो अब भी हज़ार कहने को,
पर अब लगता है की कही हर बात से मुकर जाउं।

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24 AUG 2024 AT 1:19

हैं अधर मौन,
है कितना शोर?
शोर में मै,
मुझमें सब मौन,
भीतर मेरे..
है कितना शोर।
है सब कुछ मौन, है कितना शोर!

शोर मे इतना सन्नाटा,
है कुछ तो बिखरा यहाँ,
कुछ टूटा शायद,¿
टूट गया मौन,..
ख़त्म सारा शोर।

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30 MAR 2024 AT 0:16

वो कमरे के कोने वाला दराज़ खोला आज,
महज़ चार चीज़ें ही मिली,
वक़्त, मै, वो और,
और‌ दिल ।

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1 OCT 2022 AT 1:41

Am I drowning?
Should i try to reach the shore,
I am drowning,
I guess so.
Is something dead,
or is it me,
Did I died?
I am alive, i can feel it,
The scream is loud and clear,
I heard it too.

Is something drowning?
I guess so.

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3 SEP 2022 AT 22:42

किनारा, चाहत, पुरानी बातें हो चली,
ख्याल जो अब आता है,..
के बीच दरीया में डूब जाना कैसा रहेगा।

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19 AUG 2022 AT 0:30

& i guess this is the end,
this is how it looks.

I thought it would be hideous,
I was wrong,
it's so serene.
so alluring.

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11 MAY 2022 AT 17:07

अक्स-दर-अक्स गुज़र गया सब,
थम गए अक्स, गुज़र गया सब।

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17 APR 2022 AT 5:08

जो दफन है, भला तुम्हे क्यों उसकी चाहत है,
आए हो , तो ऐसा करो,..
पास फूल रखकर लौट जाओ।

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