उन आँखों की तखलिफें सिर्फ तुम ही समझ सकते हो
जो हर भीड़ में बस तुम्हें ही ढूंढती फिरती हो।-
मेरी ख़्वाहिशें
जिनके सहारे मैं जिन्दा हूँ,जो मारती है हर पल मुझे
वो है मेरी ख़्वाहिशें,बस वो है मेरी ख़्वाहिशें।
परिन्दा बनकर आसमाँ में उड़ जाऊँ,रोकती है जो मुझे वो है मेरी ख़्वाहिशें ।
रात भर मैं सोना चाहूँ पर जाने सो न पाऊँ,जो छिपी है आँखों में वो है मेरी ख़्वाहिशें।
मन में है लोट जाऊँ जिस शहर से हूँ वहाँ,पर सोचती है जो बहुत वो है मेरी ख़्वाहिशें।
सोचती हूँ साथी बनाऊँ सूर्य,चन्द्रमा और हवा,जो चाहे कोई मेरे जैसा वो है मेरी ख़्वाहिशें।
बहते आँसू रोककर आते जाते दुखों को टोककर,जो करे अग्रसर मुझे वो है मेरी ख़्वाहिशें।
मेरा हर कदम जिनकी ओर,जिस तरफ है इतना शोर वो है मेरी ख़्वाहिशें।
मुझसे है जो जिनसे हूँ मैं,जिनका है अन्त मेरा भी अन्त वो है मेरी ख़्वाहिशें।
जिनको पाने में मैं खुद को खोने को हूँ,जो है मुझमे प्राण सी-वो है मेरी ख़्वाहिशें।
जिनके सहारे मैं जिन्दा हूँ, जो मारती हर पल मुझे
वो है मेरी ख्वाहिशें,बस वो है मेरी ख़्वाहिशें।
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किस पर यकीन किया जाय साहब
अमीर पर या उस गरीब पर जिस पर हमेशा से ही अत्याचार होते चले आ रहे हैं , जो न्याय की भीख मांगता फिरता है
Justice for "VANDU"
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मुश्किल है दौर ,ये दौर भी गुजर जायेगा ,
गर तुम नही हो पास तो क्या हुआ ,
अपनों के साथ टाइम निकल जायेगा ।-
मैं मोहोब्बत पूरी न कर सका तो क्या हुआ ,
तुम कौनसा नफरत पूरी कर सके ।-
आ अब खत्म कर दें इस रिश्ते को
कुछ दूर तुम हो जाओ,कुछ दूर मैं हो जाऊँ..।-
शायद यही वजह है उसके दूर होने की,
क्योंकि
अब उसे मुझमे 'मैं' नही दिखता..।
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तू क्यूं उसकी सादगी पर इतना यकीं करता है,
तुझे पता भी है उसकी सादगी कुछ भी सच बयां नही करती ।-