Badnaseeb Shayar   (कवि धर्मेन्द्र कुमार)
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Shayri, Poetry & Gajal Songs Specialist
Joined 29 December 2022


Shayri, Poetry & Gajal Songs Specialist
Joined 29 December 2022
18 JAN 2023 AT 22:42


आपकी खूबसूरत भरी ये निगाहें,
जिसके बारे में अब मै क्यों ज़िक्र करूं?
जो दो पल की अपनी खुशी और स्वार्थ के लिए,
हमसे मोहब्बत होने तक की दर्द बयां न कर पाई,
उस झूठे और मासूमियत चेहरे को,
फिजूल में अब मै क्यों फ़िक्र करूं?

-✍️बदनसीब शायर
"कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"



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18 JAN 2023 AT 17:37

उस महबूब की अब फिक्र मै क्यों करूं,
जिसने आज तक हमारी कदर कभी किया ही नहीं।
एक मै था जो इकतरफा प्यार ही सही,
पर उनके बगैर हर लम्हा कभी जिया ही नहीं।

-बदनसीब शायर
"कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"

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16 JAN 2023 AT 9:48

" काश इस वास्ते... "
काश इस वास्ते आप भी हमारी क़दर करती,
जिस वास्ते मै आपकी कदर हर रोज़ करता हूं!

काश इस वास्ते आप भी हम पर नज़र रखती,
जिस वास्ते मै आपकी ख़बर हर रोज़ रखता हूं!

काश इस वास्ते आप हमारी अगर रहती,
जिस वास्ते मै आपकी चाहत में हर रोज़ तड़पता हूं!

काश इस वास्ते आप हमसे बेपनाह मुहब्बत करती,
जिस वास्ते बेइंतहा मुहब्बत मै आपसे हर रोज़ करता हूं!

- बदनसीब शायर "कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप

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14 JAN 2023 AT 16:04

"आखिर मै 'बदनसीब शायर' खुद की जिंदगी में क्या चाहता हूं?"

हर शब्द, हर ख्याल और हर किसी के लिए अभी बहुत कुछ लिखना चाहता हूं मै ।
खुद की जीवन में खुद की किए गए गलतियों से अभी बहुत कुछ सीखना चाहता हूं मै ।
मै जानता हूं कि अपनी कामयाबी की शिखर ऊंचाइयों तक पहुंचने में अभी बहुत देर लगेगी मुझे।
पर मै तो एक बदनसीब शायर ' कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप' हूं ना!
इसीलिए खुद की जिंदगी में खुद की बड़ी सफलता पाने के लिए, इन पैसों से नहीं,
बल्कि, अपनी मेहनत, ईमानदारी, धैर्य- साहस और खुद की तप- मनोबल से ही बिकना चाहता हूं मै।

-बदनसीब शायर "कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"

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14 JAN 2023 AT 7:31


आखिर तुम जाना ही चाहती हो हमारी जिंदगी से,
चले जा!...
अपनी तो पूरी जवानी अभी बाकी है।
नई मोहब्बत की सिलसिला देखकर जाती तो, ज्यादा अच्छा था।
क्योंकि उस मोहब्बत की कहानी अभी बाकी है।

-बदनसीब शायर
"कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"

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13 JAN 2023 AT 15:06


एक ख़ूबसूरत लड़की से मुहब्बत तो हमने भी किया था जनाब!
पर उसने हमारी तोहफ़े को कहां कबूल किया?
जिंदगीभर जिसके खातिर दर व दर भटकता रहा मै,
आख़िर उसने मुहब्बत का इंतकाम मुझसे क्यों इस क़दर लिया?




-बदनसीब शायर

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13 JAN 2023 AT 4:55


"इंसानियत के मामले में हम आज भी ख़राब नहीं हैं, बल्कि हमारा वक्त ख़राब है। वरना कल तक जो लोग जिस दुनिया के सामने हमारी तारीफ़ करते थकते नहीं थें, वो लोग आज इसी दुनिया के सामने हमारी बुराई नहीं करते"

बदनसीब शायर
"कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"

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13 JAN 2023 AT 3:12


अब मै उनके सामने भी हमेशा,
मुस्कुराकर बातें करने लगा हूं।
अपने दिल पर खाए हुए ज़ख्म को,
छिपाकर बातें करने लगा हूं।


बदनसीब शायर
"कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप"


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11 JAN 2023 AT 15:21


शायद तुझे स्मरण नहीं, कितने शख्सियत आकर्षित हुए?
कुछ फिदा तेरी हुस्न पर, तो कुछ यूंही भयभीत हुए।
स्वाभाविक प्रेमी हम तेरे, नालायक जमाने के लिए।
पर शिद्दत से चाहा तुझे, नयनों के प्यास बुझाने के लिए।


बदनसीब शायर

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11 JAN 2023 AT 12:13

"बिहारियों की प्रति मिथ्या मानसिकता"

संपूर्ण भारतवर्ष के शान हैं हम,
हर लोगों के दिलों का प्राण हैं हम ।
इज्जत प्रतिष्ठा के लिए विवश ,
संस्कृति- सभ्यता की पहचान हैं हम।

क्या सोचते हो हम बिहारियों के बारे में,
महान सख्सियतों का भंडार हैं हम।
तमाम पत्रकारों का उन्नत विचार हैं हम।
भारतीय सभ्यता की आज भी पहचान हैं हम।

मां - बापू ने शिक्षा दी विनम्र स्वभाव के लिए ,
सहायता ही पेशा हमारी लोगों के उपकार के लिए ।
विनम्रता का अत्यधिक लाभ मत उठाओ मित्रों,
देश की रक्षा के लिए सबसे पहले तैयार हैं हम।

'बिहारी' शब्द को सुनते ही गलियां देते कुछ लोग हमें,
शायद उन कुछ लोगों के मानसिकता से बेकार हैं हम, चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है 'बिहारवासियों’
गर्व से कहो कि इसी मिट्टी का साहित्यकार हैं हम
- कवि धर्मेन्द्र कुमार कश्यप
(बदनसीब शायर)



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