Badal Nath kar   (Badal nath kar)
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Joined 2 November 2020


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27 MAY AT 9:07

Old is Gold but sometimes
the new one is Diamond .
It shines like diamond, attractive and rare as diamond , valuable as diamond - you must handle with care .But it's feel hard as diamond when they leave you . Like a diamond's sharp edge , their changed behaviour can cut deep - piercing your heart like a wedge .

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19 FEB 2023 AT 18:29

मेरी कलम ही मेरी पहचान है
गर आप मेरी लेखनी पढ़े

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19 FEB 2023 AT 18:23

एक जमाना हो गया कुछ लिखे
सोचता हूँ तुम्हारा नाम ही लिख दु

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23 JUL 2022 AT 8:43

एैसा लगता हैं जैसे मैंने
खुद को देखा नही एक अरसे से
अपनी वो मुस्कान नहीं देखी
अपना वो मस्तमौला सा रूप नहीं देखा
खुद के अंदर का वो जिद्दीपन नहीं देखा
मेरा भी हैं अपना मन , वो मन नहीं देखा
अपनी वो अल्हड़ सी चाल नहीं देखी
खुद को आईने में बार - बार नहीं देखा
खुद से पुछा नहीं कैसा हूँ मैं
जमाने से पुछा करता हूँ हाल
ये जीवन हैं नहीं
बस बीत रहे हैं साल

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11 MAY 2022 AT 21:19

लिखता हूँ दर्द ,
लिखता हूँ बातें
लिखता हूँ सवेरा ,
लिखता मैं राते
लिखता हूँ आंसू ,
बरसती वो आंखे
लिखना चाहता हूँ ,
जो दबा हैं मन में
जो कहा नहीं जाता ,
किसी के संग में

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3 MAR 2022 AT 10:40

अहंकार को अपने युध्द में उतारा जा रहा हैं
सेनाओं के इस युध्द में
क्यों आम लोगो को मिसाइलो से दागा जा रहा हैं ?
महिलाओ, बच्चों , निहत्थो से युध्द ?
युध्द के नाम पर तो यहाँ
बहादुरी नहीं कायरता दिखाया जा रहा है
युध्द के इस आग मे बेकसुरो को
मारा जा रहा है
खारकीव में कल मची तबाही
आज कीव को निशाना बनाया जा रहा है
भूमी के इस लालच में
भूमी को ही जलाया जा रहा है
तड़पते लोग , मरते लोग
चिखती - चिल्लाती दर्द से वो आवाजें
कल की नींव कैसे आज पर लादा जा रहा है
सेनाओं के इस युध्द में
क्यो आम लोगो को मिसाइलो से दागा जा रहा है ?

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1 MAR 2022 AT 7:13

जी करता हैं रोऊं
तकीया भीगों दु मै
समझता कोई नहीं मुझे
कैसे खुद को समझाऊ मै
सुनकर मेरी बाते लोग
मजाक उडा देते हैं
गैरों से हम क्या कहे
हमे तो अपने भी न समझते हैं
बाते लगती सीधे दिल में
आंसु बह जाते आंखो से
मन हल्का हो जाता थोड़ा
रो लेता हूँ जो मैं जी भरकर

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26 FEB 2022 AT 17:57

सोचता हूँ जब मैं युध्द के बारे में
सिहर सा जाता हूँ वहां के दृश्य की कल्पना मात्र से
छिनता किसी का बुढ़ापे का सहारा
छिनता किसी का जीवनसाथी
छिनता बच्चों के सर से पिता का हाथ
बेकाबू होती हालात
चलती गोली भेदती सीना
मिसाइलें दागी जाती हैं
जलता हैं देश
जलता जीवन
सबकुछ नष्ट हो जाता हैं.....

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23 FEB 2022 AT 19:30

लिखु मैं अपनी बातें
अपनी हालात लिख दु
व्यस्तता से भरा दिन
निंद से भरी रात लिख दु
थका तन लिख दु
मचलता फिरता अपना मन लिख दु
उतारु मन का भार कागज पर मैं
दिल में भरे सारे तुफान लिख दु

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19 FEB 2022 AT 21:23

कह नहीं पाता हूँ
मैं तुमसे दिल की बातें
सुनो न , तुम मेरी आंखे पढ़ लिया करो

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