आज मैंने ख़ुद को दिया
दिखावे के इस जहां में
एक सच्चा प्यार मैंने ख़ुद से भी तो किया है
जब जब रोई आखें दिमाग ने संभाला हैं
हर दिन को मेरे मैंने ही तो निखारा है
हर जज्बे को अपने मैंने ही तो सराहा है
जब लड़खड़ाई एक आवाज़
मेरे अंदर से भी तो आ है
यार तू कर लेगी
सब हो जाएगा मैंने ख़ुद को बताया है
जब भी तैयार हुई मैंने ही तो ख़ुद को निहारा है
इस व्यस्त सी जिंदगी में "मैं" ही तो मैं का बस एक सहारा है
तो एक तोहफ़ा गुलाब का मैंने ख़ुद को दिया है
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