वो जिसने हर रिश्ते को जन्म दिया है
ना जाने क्यू हर रिश्ते ने उसे ही कैद किया है।
स्वयं शक्ति का स्वरूप होते हुए भी
उसने ममता और करुणा का रूप धारण किया है।
हर कदम पर कमजोर अबला बोल जिस पुरुष ने उसे प्रताड़ित किया है
उस पुरुष को भी अपनी कोख में रख अपने दूध से सींच
तूने बड़ा किया हैं।
करुणामयी ममतामयी तू जननी है इस संसार की
फिर भी तुझे इस पुरुषप्रधान समाज ने गर्भ में ही मार दिया है।
उठो लड़ो झुको नहीं
ओ नारी!!
तुम हो सिर्फ जमीं पर ही नहीं बल्कि उस आसमां पर भी भारी।
इंसान भूल करता है ना समझता है तुम्हारा मोल
तुमसे ही हुई है इस सृष्टि की रचना उस ईश्वर के लिए भी हो तुम
हे नारी!
सबसे अनमोल।
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B.ed
26 aUgUsT 🎂🎂
I love reading novel specially Hindi उपन्यास
पुस्तकों से बचपन ... read more
वो मर भी जाए तो
उसकी लाश से ये उम्मीद की जाएगी
के जाते- जाते वो कम से कम
कपड़े बर्तन तो धो जाती!!
और वो भी ना सही तो
खाना तो बना ही जाती
भूखे पेट तो घर के मर्दों से
उसकी अर्थी भी न उठाई जाएगी!!-
किस सोच में गुम हो
हे नारी
कहां तुम किसी से कम हो
क्यूं सोचती हो सब कैसे होगा।
तुम ठानो तो सही
जो सोचोगी सब वैसे ही होगा।
ना डरो, ना घबराओ
तुम सी ताकत आखिर है किसमें
एक नई जिंदगी को तुम पैदा करती हो
तुमसे बड़ा कहां कोई भगवान होगा।
घर और बाहर हर एक दुनिया को
तुम संभाल सकती हो।
जब औलाद को चलना सिखाती हो
तो अपने पैरों पर खड़ी हो
अपनी जिंदगी भी तुम संवार सकती हो।
तोड़ के परंपराओं की जंजीरों को
खोलकर सारे बंद दरवाजों को
ओ नारी!
अपने पंख फैला कर तो देखो
तुम उस आसमान की अनंत ऊंचाइयों को
अपनी ताकत और हिम्मत से पा सकती हो।
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तो वो तुम नहीं थे
जो कहता था मरते दम तक तुम्हारा साथ निभाऊंगा
जो कहता था...
हर मुश्किल की घड़ी में तुमसे आगे खड़ा हो जाऊंगा
दर्द हो बेशक तुम्हारा
मैं सब हंसते-हंसते सह जाऊंगा
चाहे आ जाएं मौत मुझे
तुमसे दामन ना कभी छुड़ाएगां
तो वो तुम नहीं थे!
वो तुम नहीं थे
हां सच ही है वो तुम नहीं थे!
वो था सिर्फ मेरा भ्रम
और कुछ नहीं.....
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आपके पीछे चलकर ही
आगे बढ़ना मैंने सीखा है
पौधा थी मैं नाज़ुक सा
सींच ज्ञान से मजबूत पेड़ का रूप दिया है
थी धरा तक सीमित मैं आपके साथ बिना
हाथ पकड़ मेरा आपने अम्बर से नाता जोड़ा हैं
उचित मार्गदर्शन कर मेरा
आपने सफलता का तोहफ़ा दिया है
झुकाती हूं! सिर आपके सामने
गुरु मेरी, आपने सही राह दिखा मुझे
मेरी ज़िन्दगी को एक नया रूप दिया है।-
जब लफ्ज़ों ने चुप्पी साध ली
गीले सिराहनो से शब्दों की बाढ़ हुई...-
तुझे संजीदा देख मैं अक्सर परेशान हो जाता हूं
.
.
तेरा बावलापन मुझे सुकून बहुत देता हैं..।-
कभी-कभी
सोचती हूं
काश! के तुम
मेरी तरह दिखते
या
मैं! तुम्हारी तरह
तब होते
बस तुम और मैं...
तब होते
बस..
हम..।-