Bablu Choudhary   (Azad likhari बबलू)
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Joined 29 May 2020


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Joined 29 May 2020
17 MAR 2023 AT 22:45

चंद लम्हो में ख़ामोशी, सिमट आई है,
जो निखर कर, सोन बन आई है,
वो मेरे पिछ्ले सफर की धूल है।

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29 AUG 2022 AT 14:29

मेरी राहों के दीए,
कोई और नहीं,
अल्बत्ता मेरी खवाइश,
यह जग जीतने की है ।

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16 JAN 2022 AT 14:02

मेरे तक्लुफ का तकाजा जरा बेहतरीन रहा होगा,
उस शोर -ए- महफिल में मैने तालियां खूब बटौरी।

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8 JAN 2022 AT 21:07

" यहां हर मौसम पतझड़ जैसा,
कहीं तो कोई बसंत की तर्ज़ सुनाएं।"

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6 JAN 2022 AT 20:01

उनका अंधेरा दूर तक फैला रहा,
बस अचल का उजाला मेरे अंगने में था।

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20 MAY 2021 AT 12:06

हुए ,उसी से दूर रहे ,असल -ए- मुद्दा जो था ।

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17 MAY 2021 AT 12:49



अजी ,गुनाह भी करते हो क्या खूब करते हो,
रुठे उस चाँद से ,जुगनू की लो सा गरुर करते हो।

है गुम वो आवाज़ों के जंगल मे,
महके फूलो की खूशबू सा सरूर करते हो।

रहनुमा की ज़िंदगी मेरी,
चाहतों के समुन्द्र सा कसूर करते हो।

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17 MAY 2021 AT 8:05

जमाना मुझे मायूस करता है,
आखिर किरदार भी तो वो खुद परखता है।

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18 FEB 2021 AT 13:27


वो मेरी कहानी तो रही होगी ,
पर मेरे शब्दों का साज़ नहीं ।
मै पढूं शिरक की वो किताब,
कमबख्त वैसी मेरी जात नहीं।

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16 JAN 2021 AT 16:42

क्या खूब हुई रुस्बाई उन पत्तों से भी,
जो कभी भीगे थे मेरी नज्मों से,
वो टूटे कुछ ऐसे मेरे आँगन से,
लिखे वो क़सीदे भी, खाक-ए-सुपुर्द हुए।

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