चंद लम्हो में ख़ामोशी, सिमट आई है,
जो निखर कर, सोन बन आई है,
वो मेरे पिछ्ले सफर की धूल है।-
Bablu Choudhary
(Azad likhari बबलू)
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हर तस्वीर को कागज़ पर कुरेदता हूँ,
अन्जान भीड़ में ,बेबाक अल्फाज़ सहेजता हूँ।
दिल ए अरमान ,हर ब... read more
अन्जान भीड़ में ,बेबाक अल्फाज़ सहेजता हूँ।
दिल ए अरमान ,हर ब... read more
Joined 29 May 2020
17 MAR 2023 AT 22:45
29 AUG 2022 AT 14:29
मेरी राहों के दीए,
कोई और नहीं,
अल्बत्ता मेरी खवाइश,
यह जग जीतने की है ।-
16 JAN 2022 AT 14:02
मेरे तक्लुफ का तकाजा जरा बेहतरीन रहा होगा,
उस शोर -ए- महफिल में मैने तालियां खूब बटौरी।
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6 JAN 2022 AT 20:01
उनका अंधेरा दूर तक फैला रहा,
बस अचल का उजाला मेरे अंगने में था।-
17 MAY 2021 AT 12:49
अजी ,गुनाह भी करते हो क्या खूब करते हो,
रुठे उस चाँद से ,जुगनू की लो सा गरुर करते हो।
है गुम वो आवाज़ों के जंगल मे,
महके फूलो की खूशबू सा सरूर करते हो।
रहनुमा की ज़िंदगी मेरी,
चाहतों के समुन्द्र सा कसूर करते हो।-
18 FEB 2021 AT 13:27
वो मेरी कहानी तो रही होगी ,
पर मेरे शब्दों का साज़ नहीं ।
मै पढूं शिरक की वो किताब,
कमबख्त वैसी मेरी जात नहीं।
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16 JAN 2021 AT 16:42
क्या खूब हुई रुस्बाई उन पत्तों से भी,
जो कभी भीगे थे मेरी नज्मों से,
वो टूटे कुछ ऐसे मेरे आँगन से,
लिखे वो क़सीदे भी, खाक-ए-सुपुर्द हुए।-