मैं अपनी किस्मत से लड़ते-लड़ते अब हार चुकी है फिर लड़ने की शक्ति मेरे अंदर आ जाती है फिर मैं लड़ते-लड़ते हार जाती हूं यह लड़ाई खत्म ही नहीं हो रही है कि इसका अंत कब है क्या मेरी जिंदगी यही तक है क्या औरत होना पाप है क्या औरत की जिंदगी इसी तरह मैं जा रही कपड़े धोने है बस कर भगवान अब मैं थक चुकी हूं मेरे अंदर की शक्ति अब खत्म हो चुकी है
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