चंद फासले हर रिश्तों के दरमियां हो,
अक्सर हद से ज्यादा अजीज रिश्ते भी
टूट के बिखर जाते है,
जो इश्क ए इजहार हर दफा हो!
हो बेसक इश्क बेइंतहा तुम्हे,
मगर जुबां ए इजहार हर दफा न कर,
जमाने की ये ही रीत रही ....
जो इश्क ए दोस्ती मिले खैरात,
उसकी कीमत आम ए बाजार सी!-
to bh kya jan paoge???
Alhamdulillah for everything 🤲
lv 2 expr... read more
अजी इश्क़ हो इसकी भी क्या कोई वजह हे?
जो बिन वजह हो वही तो इश्क ए वजह हे!-
तूझे दिल ओ जहां से भुला दिया!
न शिक्वे न शिकायते हे बची,
जो तूझे दिल ओ जहां से भुला दिया!
हां मुश्किल था तुझ बिन जीना मेरा,
मगर मेरी जां तूने ये भी मुझे सिखा दिया!
"हर दर्द अपना लिया,
तुझे दिल ओ जहां से भुला दिया!"
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"मैं मर जाऊ तो बस एक कहानी लिखना"
मेरे हर खुशी–ओ–गम को तुम,
बस मुंह ज़ुबानी लिखना!
जो कम पड़ जाए स्याही तो,
मेरे अश्कों से तुम कहानि लिखना!
जो लफ्ज़ों की हो कमी तो,
बस इन आंखो की तुम नमी लिखना!
न ज्यादा न कम,
तुम बस मुंह ज़ुबानी लिखना!
न शायर न मुशायर बन,
तुम बस एक कहानि एक मुंह ज़ुबानी लिखना!-
"भारत मां का लाल"
न सर्द न कड़ी धूप की मार,मार सके
उस भारत मां का मैं लाल सिपाही हूं!
उत्तर–दक्षिण, पूर्व–पश्चिम,
हर दशाओं का मैं वीर सिंगार हूं!
न हिंदू न मुस्लिम, न सिख न ईसाई हूं,
"मैं तो अपनी भारत मां का लाल सिपाही हूं"
होली, दिवाली, ईद हो या लोहड़ी,
हर त्यौहार की मैं सौगात हूं!
हिमालय–सा ऊंचा,गंगा की शीतल धारा हूं,
"मैं तो भारत मां का लाड दुलारा हूं"
वीर भगत,लाल–पाल–बाल,गांधी का
मैं आहवान हूं!
भारत मां की जय हों, इसके लिए भी मैं तैयार हूं,
हूं मैं गर्वित जो आर्यावर्त भू धरा का लाल हूं!
अंतिम सांसे भी उस तिरंगे की शान है,
जिसका मैं संतान हूं, मैं भी भारत मां लाल हूं!
दिल ओ जहां में है यह वतन मेरा महान,
सारे जहां से अच्छा हे यह मेरा हिंदुस्तान
मेरा हिंदुस्तान....-
गले लगा तुम मुस्कुरा लेना!
मेरे हर ज़लाल को तुम भुला देना
हां माना की हूं मैं हकदार,
तेरे हर अज़ाब ओ शिक्वो–शिकायतो का!
जो चाहो वो दर्द ए सितम को बता देना,
मगर हर गलतफहमी को आग लगा
ये रिश्ता भी महफूज़ कर लेना तुम!
-
उसके चेहरे पे जो सिकन देखा,
हां मैंने उसे आज रोते देखा!
वो चमक, वो रंग, वो सुर्ख़ लाली
अजी हां,
मैने एक पल में सब बिखरते देखा!
वो बेहद मुस्कुराते–गुनगुनाते चेहरे को भी,
हां मैंने पल भर में बदलते देखा!-
फूल गुलाब हो या कमल का,
अक्सर एक वक्त पर मुर्झा ही जाते हैं!
कोई कितना भी अजीज़ हो,
अक्सर एक वक्त पर छोड़ ही जाता हैं!-
ख़्वाबो में भी एक ख़्वाब हे,
हर पल में तु साथ हे!
न रंजीशे न अज़ाब,
किसी के होने न होने से!
अजी हां!
ताउम्र साथ रहे कोई,
ये ख़्वाबो का भी एक ख़्वाब हे!-
तेरे मेरे बीच मीलो की दूरी हे,
बात न हो कुछ हद तक ऐसी भी मजबूरी है!
मगर तु मेरा गुरुर हे मेरी जां,
हे यहीं तेरे सीरत ए लहज़े पर!
तु दगाबाजी क्या ही करेगी??
जो मेरे अज़ाब को देख ख़ुद ही पलके भिगो दे!
वो दगाबाजी क्या ही करेगी??-