Babita Sharma   (बबिता शर्मा 'नाज़')
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Joined 10 May 2018


Joined 10 May 2018
4 OCT AT 8:19

जिसके जैसे भाव हैं,करता वैसा कर्म।
कर्म रचें फिर भाग्य को,जीवन का ये मर्म।।

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3 OCT AT 23:56

अधिकांश भारतीय गृहणियों का
हर कर्म--- पूजा हो जाता है ।
पूजा -----कर्म बन जाती है।

मैं--- भगवान को स्नान कराते समय---- शिवमअअअअ गैस बन्द कर देना बेटा----

आरती करते समय-----मनु दूध वाला आवाज लगा रहा है, दूध ले आओ जरा----

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4 AUG AT 9:54

व्हाट्सएप पर मुझे वो ब्लॉक कर ,अनब्लॉक करती है,
मेरे दम तोड़ते रिश्ते में श्वासों की सरगम बज उठती है

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3 AUG AT 17:59

वीराने में बहार होती है।
जिंदगी गुलजार होती है।

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3 AUG AT 17:54

मुस्कराने की बजह दोस्ती है।

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29 JUL AT 20:29

वाह रे समाज---स्त्रियों के लिये जेठ भाई समान,देवर बेटेऔर ननद बहन समान।
पुरुषों के लिए साली आधी घरवाली,जिठ सास के मायने हास परिहास व उपहास।

पूरी व्यवस्था में हो पोल है तभी तो फट रहा अब रिश्तों का ढोल है।

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25 JUL AT 13:42

दाम और नाम कमाने के लिये रंगमंच पर मेहनत करने वाली स्त्रियों को उनके सर्वोत्तम के लिए पुरस्कृत किया जाता है परंतु परिवार रूपी रंगमंच पर निस्वार्थ कमरतोड़ कार्य करने वाली स्त्रियों के हिस्से पुरस्कार नही बस एक सवाल आता है--- -----आखिर तुम पड़े -पड़े करती ही क्या हो???????
या---- किया ही क्या है तुमने आज तक------
काश ये सवाल समय रहते समाप्त हो जाते तो समाज की, पति- पत्नी के रिश्तों की यूँ बेकद्री न होती जो आज देखने ,पढ़ने व सुनने को मिल रही है।

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13 JUN AT 15:58

जाने कब किस पल थमे,साँसों का संगीत।
हँसी खुशी से कीजिये,अपना आज व्यतीत।।

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12 JUN AT 18:34


नारी को बतला रहे, लोग यहाँ यमराज।
तथाकथित है डरा हुआ, सभ्य पुरूष समाज।।

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11 JUN AT 15:38

उसने सारी नेकी दरिया में डाल दी
इश्क के सागर में इज्ज़त उछाल दी।

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