Babita Sharma   (बबिता शर्मा 'नाज़')
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Joined 10 May 2018


Joined 10 May 2018
13 JUN AT 15:58

जाने कब किस पल थमे,साँसों का संगीत।
हँसी खुशी से कीजिये,अपना आज व्यतीत।।

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12 JUN AT 18:34


नारी को बतला रहे, लोग यहाँ यमराज।
तथाकथित है डरा हुआ, सभ्य पुरूष समाज।।

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11 JUN AT 15:38

उसने सारी नेकी दरिया में डाल दी
इश्क के सागर में इज्ज़त उछाल दी।

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6 JUN AT 15:27

रिश्ता
जबसे जुड़ा
तुम संग मेरा
दिनोदिन गहरा गहरा और
गहरा ही होता चला गया।
बना ही नहीं पैमाना नापने का
हमारे रिश्ते की गहराई को आज तक।

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6 JUN AT 15:01

ना सर्दी का असर और गर्मी भी वेअसर
प्रकृति अब नारी होने को हे।

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5 JUN AT 19:29

उसने कहा था,°लेखन में ऊँचाई चाहिए तो भावों के सागर की गहराई में जाना होगा।"
लेकिन जब जब मैं गहरे में उतरती हूँ मेरे अंदर की गृहणी मुझे सतह पर ले आती है।

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4 JUN AT 23:48

मुझको मुझ से ही चुराया है उसने।



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4 JUN AT 23:42

चाँद की चांदनी में देखे गये सपने अक्सर चाँद की तरह सूरज के तेज प्रकाश में धुंधले हो जाया करते हैं।

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28 MAY AT 14:00

चाहत बस तेरी मोहब्बत की मुझको।

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28 MAY AT 8:56

वो मुझसे कुछ यूँ मेरा हाल पूछते हैं,
वकील ज्योँ मुजरिम से सवाल पूछते हैं।

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