जाने कब किस पल थमे,साँसों का संगीत।
हँसी खुशी से कीजिये,अपना आज व्यतीत।।-
Babita Sharma
(बबिता शर्मा 'नाज़')
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Joined 10 May 2018
13 JUN AT 15:58
12 JUN AT 18:34
नारी को बतला रहे, लोग यहाँ यमराज।
तथाकथित है डरा हुआ, सभ्य पुरूष समाज।।
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6 JUN AT 15:27
रिश्ता
जबसे जुड़ा
तुम संग मेरा
दिनोदिन गहरा गहरा और
गहरा ही होता चला गया।
बना ही नहीं पैमाना नापने का
हमारे रिश्ते की गहराई को आज तक।
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5 JUN AT 19:29
उसने कहा था,°लेखन में ऊँचाई चाहिए तो भावों के सागर की गहराई में जाना होगा।"
लेकिन जब जब मैं गहरे में उतरती हूँ मेरे अंदर की गृहणी मुझे सतह पर ले आती है।-
4 JUN AT 23:42
चाँद की चांदनी में देखे गये सपने अक्सर चाँद की तरह सूरज के तेज प्रकाश में धुंधले हो जाया करते हैं।
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28 MAY AT 8:56
वो मुझसे कुछ यूँ मेरा हाल पूछते हैं,
वकील ज्योँ मुजरिम से सवाल पूछते हैं।-