वो समझे ही नहीं जज्बात-ए-दिल
हम हालात सारे बता बैठे
वो देते रहे जख्म गहरे से गहरा
हम मलहम लगाते रह गए..
-
हम उनसे दूर जाए कैसे
इस दिल को समझाएं कैसे
वो तो ताकते रहते हैं गैरों को
इश्क उन्हें अपना समझाएं कैसे
वो कहते हैं तुम पागल हो गए
पागल होने की वजह वो है अब ये उन्हें बताएं कैसे
-
थोड़ा वक्त दे हमें तेरे पास बैठ जाने का
दिल करता है तेरे सीने से लग रो जाने का
तुझे फुर्सत नहीं मुझे जख्म देने से
मैं ढूंढता हूँ महलम तेरे जख्म पर लगाने की-
मै मेरे खुदा को छोड़ दूं इक तेरे खातिर
तू मुझे छोड़ती है गैरों के खातिर
और यकीन की बात तू ना कर
मैं करता हूं यकीन
तू तोड़ती है यकीन गैरों के खातिर-
शिकायत ना रही उनसे कोई
तब जब वो मुस्कुराकर छोड़ गए
चोट तो हमारे दिल पर भी लगी उनके छोड़ जाने पर
पर मुस्कुराहट से वो मलहम कर गए-
आंखों में आंसू लेकर मुस्कुराने की आदत हो गई
तेरे जाने के बाद मेरी जिंदगी बेगानी हो गई
तुझे याद करता हूं जिंदगी के हर लम्हे में
तू मेरी जिंदगी की वो कहानी हो गई-
बात हिज्र में छुपा रखी है उन्होंने
कहते हैं बात हम तुमसे कोई छुपाते नहीं
राज उनके मालूम है सब हमें
बस हम उन्हें बताते नहीं.......-
" शायद उसे किसी और का होना है
इसीलिए तो बात बात पर झूठ बोलती है लड़की "
" मुझे अपना बता कर गैरों को गले लगाती है
शायद मुझे खिलौना समझती है लड़की "
"उसके शहर का सुना है यही अंदाज है
इसीलिए तो हर किसी को पागल बनाती है लड़की"
"अगर इल्जाम लगाऊ उस पर
तो मुझे बेवफा बताती है लड़की "
-
खुदा बख्श दे उसे
जो बख्श ना सका मुझे
मैं मांगता हूं दुआ उसकी खैरियत के लिए
जो मांगे सजा-ए-मौत मेरे लिए-
हर बार तोड़ देते हो दिल
ये आदत पुरानी है क्या
और बात बात पर इल्जाम लगाना
ये आदत खानदानी है क्या
सुना है तुम बातों बातों में कत्ल कर देती हो
मेरी जान तुम जहरीली नागिन हो क्या
-