जीवन की सर्वश्रेष्ठ सफ़लता है उस ऊँचाई पर पहुँचना, जहाँ कोई इस शिकायत के साथ पीछे न खड़ा हो कि हमें गिराया गया या हमारे साथ विश्वासघात किया या हमें साथ लेकर नहीं चला गया।
शेष सभी भौतिक प्रलाप हैं, जो समय के साथ समाप्त हो जायेंगे...
~ हिमाँशु महादेव-
तुम रौंद सकते हो उस पुष्प को जो स्वयं की सुगंध से तुम्हें महकाता हो,
पर रौंद नहीं सकते उस बसंत को जो तुम्हारे सामर्थ्य से भी व्यापक है...
~ हिमाँशु महादेव-
जब आपके समक्ष कोई विषम परिस्थितियों में हो तो यह आपका दायित्व बनता है कि वो भविष्य में किसी के समक्ष यह न दोहराये कि विषम समय में मेरे साथ कोई नहीं खड़ा था।
यही पौरुषता का सर्वश्रेष्ठ पर्याय है...
~ हिमाँशु महादेव-
पहाड़ नहीं करते यात्राएँ मनुष्यों की तरह क्योंकि पहाड़ जानते हैं कि स्थिरता एक लंबी यात्रा है।
वहीं, मनुष्य करता है हर यात्रा उसी स्थिरता की खोज़ में...
~ हिमाँशु महादेव-
सर सलामत हो तो शमसीर से बातें करना,
कैद हो जाओ तो जंजीर से बातें करना।
मैं बताता हूँ तुम्हें चैन से जीने का हुनर,
सीख लो गर्दिश-ए-तकदीर से बातें करना...-
#वर्तमान_समय
तुम बाण लिये मैं प्राण लिये, जैसे तुम चाहो वार करो।
मैं बेड़ियों में जकड़ा प्रहरी हूँ, जितना चाहे अपमान करो...
~ हिमाँशु महादेव-
बेशर्मी करते घूमने वाले जन भी स्वार्थ के आधार के कारण सत्य नहीं बोल पाते जबकि सत्य नग्न होता है और सत्य को कहने के लिये भी शर्म का त्याग करना पड़ता है।
~ हिमाँशु महादेव-
न दे मेरी बीन धोखा मुझे तो कहाँ खौफ़ किसी का मानता हूँ मैं!
और जंगल की हो या आस्तीन की, साँपों की सब नस्लों को पहचानता हूँ मैं!!
~ हिमाँशु महादेव-
जब धर्म के वहन करने का समय हो तब शोक और मोह करना अधर्म और नरकगामी होता है।
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यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः॥
अर्थात हे पार्थ! यदि कदाचित् मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जाये क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।-