एक चेहरा सब को हसाकर,
अकेले कभी अंधेरे में रोता है।
कोई मेहेफिल की रौनक हो कर,
भीड़ में कही तन्हा होता है।
जिन नजरों की चमक पसंद थी,
उन्ही नजरों से आंशु बहता है।
जिसने सब की खुशी मांगी थी,
वही गम को मुस्कुरा के सहता है।
एक चेहरा सब को हसाकर,
अकेले कभी अंधेरे में रोता है।
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