Azad VarmaA   (AzaD VarmaA)
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Joined 12 September 2020


Joined 12 September 2020
7 MAY AT 14:53

“तुमने धर्म पूछ के मारा था, हमने कर्म देखके मार दिया”
“भारत माता की जय”
@ऑपरेशन सिंदूर

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22 APR AT 18:16

मैं लिखूंगा उस दिन भारत देश के विकास के बारे में, जिस दिन भारत का प्रत्येक नेता और अधिकारी बिना घूसखोरी(रिश्वत) के अपने पद का शुद्ध अंतःकरण से निर्वाहन करेगा।

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14 APR AT 10:27

अक्सर रूढ़ जया करते है वो लोग,
जिनपर उम्मीदें ज्यादा टिकी होती है।

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28 MAR AT 14:58

विषय-पछतावा

कहने को तो जिंदगी अजीब हो गई,
आपके जाने से जिंदगी बदनसीब सी हो गई।
राह तकते रहे हम भी आपके आने की,
लोग दुआ करते रहे आपके जाने की।
हमें अपनी गलतियों पर बहुत पछतावा हुआ,
आपसे किया गया हर एक वादा पूरा हुआ।
शायद कमजोर कलियों से जुड़ा था हमारा ये बंधन,
जब किसी और के आने से मिला आपका अभिनंदन।
स्वागत सत्कार में जिंदगी गुजर गई,
आपके चले जाने से हमारी जिंदगी बेघर हो गई।
राह तकते रहे हम भी खुशी के लिए मगर,
खुशी नहीं आई हमारे यहां कोई एक डगर।
आपके जाने से हमारी जिंदगी बीरान हो गयी,
अब तो हमसे भी जिंदगी परेशान हो गई।

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28 MAR AT 14:17

विषय- “चित्र आधारित रचना”
विद्या-कविता

जिंदगी में हम लोग हर मेहनत करते हैं,
मेहनत करने के बाद थक जाते हैं,
और वहीं पर एक प्रश्न होता है अब क्या,
क्या कैसे कहां कब करें।

जिंदगी में मेहनत करने के बाद सफलता न मिली,
और जब मिली तो बेशुमार मिली,
सफल होने के बाद सब कहते हैं,
अब आगे क्या।

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28 MAR AT 14:11

“ऐतबार”
विधा- शायरी,

क्या हुआ अगर हमारा,
इश्क मुकम्मल ना हुआ,
सच तो ये है कि मुझे,
आज भी उन पर ऐतबार है।

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28 MAR AT 14:09

विषय- शुक्रिया,
विधा- शायरी,

कैसे शुक्रिया अदा करूं,
मेरी परवरिश के लिए तेरा,
कर्ज तो इतना है जो,
कभी चुकाया नहीं जा सकता।

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28 MAR AT 14:01

विषय- मन पूछे कई बार कैसा होता है पतझड़ का बहार।
विद्या- शायरी

रंगों की तरह होती पत्तों की बौछार,
बेरंग दुनिया में बसंत की बहार,
पतझड़ के मौसम में पत्तों की बहार,
ऐसे ही होती है पतझड़ के मौसम में बहार।

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28 MAR AT 13:41

विषय-तकनीकी युग
विधा- कविता


तकनीक का जमाना आ गया,
फेसबुक का फंसाना आ गया,
व्हाट्सएप का चलना आ गया,
इंस्टाग्राम का रील बनाना आ गया,
तकनीक का जमाना आ गया।

न पढ़ाई का बहाना आ गया,
लड़ाई का नया फंसाना आ गया,
जूदाई का जमाना आ गया,
तकनीक का जमाना आ गया।

सोच बदल गई,
मोबाइल चल दिया,
गूगल सब कुछ बदल दिया,
मैप ने गड्ढा बना दिया।

लोग रास्ते भूल गए,
अपने पराये के वास्ते भूल गए।
खबरों को मीडिया खा गई,
सच को झूठ झूठ को सच बना दिया गया।
तकनीक का जमाना आ गया।

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28 MAR AT 13:32

विषय- कविता का सम्मान
विधा - कविता

सब जीवन का सार है, कविता।
आत्मा का नाम है, कविता ।
परिचय की पहचान है, कविता।
भावना का लेख है, कविता।
भारत की पहचान है, कविता।
उत्तर प्रदेश की जान है, कविता।
हम सब का सम्मान है, कविता।
हर वेदों की कर है,
कविता।
कवियों की पहचान है, कविता।
सावन भादो का नाम है,कविता।
बसंत की पहचान है, कविता।
पतझड़ की बौछार है, कविता।
भगवत गीता का सार है, कविता।
वीरों की शान है, कविता।
अधम साहस का नाम है, कविता।
धर्म करम का नाम है, कविता।

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