कर्मणा मनसा वाचा यदभीक्षणं निषेवते।
तदेवापहरत्येनं तस्मात्कल्याणमाचरेत्॥
भावार्थ :- मन, वचन, और कर्म से हम लगातार जिस वस्तु के बारे में सोचते हैं, वही हमें अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। अतः हमें सदा शुभ चीजों का चिंतन करना चाहिये।- Azad malkhan singh lodhi
6 JUL 2019 AT 22:22