Azad (आज़ाद)  
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मैं हरदम कागज़ कलम का सिपाही,
हक़ीक़त में कल्पना लिखती मेरी स्याही!
Joined 15 September 2018


मैं हरदम कागज़ कलम का सिपाही,
हक़ीक़त में कल्पना लिखती मेरी स्याही!
Joined 15 September 2018
1 OCT 2024 AT 10:52

अर्थ की चादर ओढ़े!
पूंजीवाद का गुलाम!
सच है ही बेईमान?

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1 OCT 2024 AT 10:50

रोशनी में मरना!

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1 OCT 2024 AT 10:47

बचपन निगलती ये जवानी!

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23 JUL 2024 AT 10:44




प्रकृति प्रदत्त विधि शाश्वत है,
नियत समय पर प्रतिशोध भी लेती है!

-आज़ाद

















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18 MAY 2024 AT 8:36

आधुनिक होना गलत नही है!
पुरातन खोना पाप है!


-आज़ाद
















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20 FEB 2024 AT 12:19



ये नदियां, ये दरख़्त,ये गांव,
उजाड़ के शहर बसा देना!
कुछ पाना भी तो क्या पाना?
की सब कुछ खो देना!

-आज़ाद







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14 FEB 2024 AT 12:29

जब कोई व्यक्ति भूतल से उठकर अथाह धन अर्जित करता है तो अधिकांश धन का उपयोग किया जाता है अपने पुरखों के प्रभावी जीवन मूल्यों को नष्ट करने में!


-आज़ाद












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5 FEB 2024 AT 16:08

पुण्य का प्रचार प्रसार होना चाहिए!
विज्ञापन नही!


-आज़ाद

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31 JAN 2024 AT 13:39

वेदना अंतर के भीतर त्रुटि मात्र है!
और चेतना अंतर की उपज है!

आज़ाद

























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25 JAN 2024 AT 12:27

इंद्रप्रस्थ के मानस,
मौन कुटुंब,
चार अनुज एक उत्तरदायी,
युधिष्ठिर होना,
है कितना पीड़ादाई !
जग वन्दित का वनवासी होना,
और अवध की अकुलाई,
श्रीराम का राम होना,
है कितना पीड़ादाई!
हरि से मोह अटूट,
हिरण्यकश्यप सो जनक पाई,
भक्त का प्रह्लाद होना,
है कितना पीड़ादाई!

-आजाद























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