तुम इश्क़ करो और दर्द ना हो,
मतलब दिसंबर कि रात हो और सर्द ना हो!-
कागज़ की कश्ती में,
सवार है हम.!!
फिर भी कल के लिऐ, परेशान हैं हम!-
कोई सपनों के लिए अपनो से दूर है
तो!
कोई अपनो के लिए सपनों से दूर है-
कुछ करना है तो डटकर चल ।
थोड़ा दुनिया से हटकर चल।
लकीर पर तो सभी चल लेते हैं,
कभी इतिहास को पलटकर चल।
बिन काम के मुकाम कैसा?
बिना मेहनत के दाम कैसा?
जब तक हासिल ना हो मंजिल!
तो राह में, राही आराम कैसा?
अर्जुन सा निशाना रख मन में
ना कोई बहाना रख!
जो लक्षय सामने है
बस उसी पे अब अपना ठिकाना रख!
सोच मत साकार कर
अपने कर्मो से प्यार कर !!
मिलेगा तेरी मेहनत का फल
किसी और का ना इंतजार कर
जो चले थे अकेले
उनके पीछे आज मेले हैं ।
जो करते रहे इंतजार उनकी
जिंदगी मे आज झमेले है-
कुछ करना है तो डटकर चल ।
थोड़ा दुनिया से हटकर चल।
लकीर पर तो सभी चल लेते हैं,
कभी इतिहास को पलटकर चल।
बिन काम के मुकाम कैसा?
बिना मेहनत के दाम कैसा?
जब तक हासिल ना हो मंजिल!
तो राह में, राही आराम कैसा?
अर्जुन सा निशाना रख मन में
ना कोई बहाना रख!
जो लक्षय सामने है
बस उसी पे अब अपना ठिकाना रख!
सोच मत साकार कर
अपने कर्मो से प्यार कर !!
मिलेगा तेरी मेहनत का फल
किसी और का ना इंतजार कर
जो चले थे अकेले
उनके पीछे आज मेले हैं ।
जो करते रहे इंतजार उनकी
जिंदगी मे आज झमेले है-
हुआ ही क्या जो वो हमे मिला नहीं
बदन ही सिर्फ एक रास्ता नहीं!!
ये पहला इश्क है तुम्हारा। सोच लो!!!!
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं ।
मैं दस्तकों पे दस्तकें दे गया
वो एक दरवाजा मगर कभी खुला नहीं !!।-
अपनी हि कहानी सुना रहा था मैं
पानी पर पानी से पानी लिख रहा था मैं
नज़रे चुराकर देख रही थी वो
और कभी नज़रें चुरा रहा था मैं
बातें उलझ रही थी
और कुछ बातें उलझा रहा था मैं
पुराने इश्क के ज़खम अभी भरे भी नहीं थे
और फिर इश्क की गली में जा रहा था मैं-
अपनी हि कहानी सुना रहा था मैं
पानी पर पानी से पानी लिख रहा था मैं
नज़रे चुराकर देख रही थी वो
और कभी नज़रें चुरा रहा था मैं
बातें उलझ रही थी
और कुछ बातें उलझा रहा था मैं
पुराने इश्क के ज़खम अभी भरे भी नहीं थे
और फिर इश्क की गली में जा रहा था मैं-