Ayushmann Patel   (◦◦◦🅰🆈🆄🆂🅷🅼🅰🅽🅽)
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Joined 22 August 2017


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Joined 22 August 2017
12 MAY 2020 AT 21:24

में हर एब से ढकी सूरत
तू तरासी गई मूरत प्रिये

में दिशाहीन रहा काजी
तू राह दिखाती मांझी प्रिये

में रंगो से रखता परहेज़
तू पाकीज़ा रंगरेज प्रिये

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10 MAR 2020 AT 8:01

में हर एब से ढकी सूरत
तू तरासी गई मूरत प्रिये

में दिशाहीन रहा काजी
तू राह दिखाती मांझी प्रिये

में रंगो से रखता परहेज़
तू पाकीज़ा रंगरेज प्रिये

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15 AUG 2019 AT 19:09

मुबारक हो भारत ! कश्मीर हुआ है
खदेड़े गए पंडितो के दिल में आज कुछ सुकून हुआ है
खुली हवा में बेफिक्र सांस लेने का यही तो मौका हुआ है

मुबारक हो भारत ! कश्मीर हुआ है
दशकों से वंचित उन 'बे'वतनो का फिर दौर शुरू हुआ है
अपने हक से वंचित उन बेटियों का यहीं फ़िरदौस हुआ है

मुबारक हो भारत ! कश्मीर हुआ है
नजरबंद उन चंद घरों का दाना पानी अब खत्म हुआ है
सालो की कश्मकश और ये मात, फैसला अहम हुआ है

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2 AUG 2019 AT 22:29

बस एक प्यारी सी मुस्कान दिए जाना
यूं गुमशुम तो रास्ते पर टकराते राहगीर ही गुजरा करते है

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7 MAR 2019 AT 13:58

If practice makes a man perfect
Then what about women?

Don't think so hard...
She Is Born Perfect

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18 FEB 2019 AT 22:05

Taking a break for sometime 😌
🙂 You guys are awesome. I will be right back 🙂


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17 FEB 2019 AT 16:34

कभी कभी सोचता हूं
चांद, धरती और सूरज का कितना सचोट नाता है
दिन में सूरज जो चांद और धरती पर रोशनी लुटाता है
रात ढले वहीं चांद धरती को चांदनी से सजाता है
सूरज आग बबूला हो कर भी नित लय में फिरता है
चांद खूबसूरत हो कर भी हर रात क्षय में जीता है

कभी कभी सोचता हूं
क्या होता अगर इन तीनों को किसी सितारे का साथ होता?
खुद से बड़ा है सितारा जान कर सूरज का क्या खयाल होता?
सूरज भी जीता अगर क्षय में तो हर दिन धरती का क्या हाल होता?
कैसी होती चांदनी जिसपे नजानें कितनी अमावस्या का काल होता?
इसके बावजूद भी क्या इंसान इतना अहंकार में बदहाल होता?

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13 FEB 2019 AT 17:40

प्यार में थे तो सब की आंखो में खटक रहे थें वो बिचारे
अब जो फना हुए तो पूरे आकाश को चमका रहे है दो सितारे

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11 FEB 2019 AT 9:23

एक फैलता 'जहर' जो सारे गांवों को नीगल रहा है
डसे गए लोग उसे अब 'शहर' बता रहे है

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10 FEB 2019 AT 15:20

ए ज़िंदगी...
तू नए दाँव चुन,
कुछ ताज़े मोहरे बना
और पुराने आकार बदल

मैं ऊब गया हूं तेरे बेरंग शतरंजी खेल से,

तू गहरी शर्तें बुन,
कुछ नए रंग जमा
और पुरानी चाल बदल

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