और बढ़ रहें हैं धीरे धीरे कदम मेरे भी कामयाबी की ओर,
हर दिन से यूं लड़ना और जीतना, रास आने लगा है।।-
और जब 'सब' पाने की चाहत में आगे बढ़ गई,
पीछे का सब लुट गया,
और अब, ना मेरे पास 'सब' है ना मेरा 'अस्तित्व'।-
बहुत कोशिशें लगती हैं रिश्ते निभाने में,
आसान न होगा ये सफर,
पर मुझे ये सफर तय करना है,
क्यूंकि मेरी कोशिशों की नदी को
रिश्तों के सागर से मिल जाने की आदत है।।
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हर गलती माफ कर दूंगी,
तुम्हे पाने की चाहत में,
जो कर दूं मैं एक भूल,
दामन तो न छुड़ा लोगे तुम??-
खुली रखी हैं आज भी खिड़कियां मैंने,
तुम्हारी आहट के इंतजार में,
दरवाज़े की तरफ यूं ही भाग पड़ते हैं मेरे पांव,
पत्तों की सरसराहट पे।।-
हम जी न सकेंगे समझे बिना एक दूसरे को,
ये तर्क देकर हम अलग हो गए।
और अब जिएं कैसे ये भी समझ के परे है।।-
और अब खामोशियां अच्छी लगने लगी हैं।
अंदर का शोर काफी है, ये खालीपन ढांपने को।।
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To all the tough days,
You knew you have always been behind me and I always passed your test, not with distinction but at least with grades.
But you could never be the strongest.
So, just know you are getting the hardest for me, but this is the time to pass you with distinction man..-