ना जानें क्यों इन हवाओं में आज फिर वही छुअन है,
ना जाने क्यों नूर की चाँदनी में आज फिर वही चमक है,
वो चमक जिसमें कभी महताब को निहारते हम एक दूजे में खो जाया करते थे,
इन बरसती बूँदों में आज फिर वही महक है,
इन घटाओं के बीच मैंने आज फिर तुम्हें मेहसूस किया है,
अखिर ये कैसी उलझन है क्या ये तेरे आने की आहट है, या मेरे दिल का वहम।-
चाँद सा चमकता तेरा वो हसीन चेहरा ढूँढ़ रहा हूँ,
तेरी झलक देखने मिल जाये बस ऐसा एक खूबसूरत सवेरा ढूँढ़ रहा हूँ,
तेरे इन्तेज़ार में तो अब सदियों बीत गए
फिर भी कमबख्त तेरे दिल में अपना वही बसेरा ढूँढ़ रहा हूँ,
जिंदगी की कशमकशों में जो खो गया शायद कहीं ख़्वाब वो अधूरा ढूँढ़ रहा हूँ,
अब बस जीने के लिए सुकून सा कोई अंधेरा ढूँढ़ रहा हूँ।-
Phir whi mushkil h saamne aa khari
Kaise bhulaye teri yaadon ko ye dard bhi h bhut gehri
Jise chor aaye the milo dur kahi
Zindagi ne un ateet
ke panno ko palat khara kar diya hume phir wahi
Apni wafa ka itta acha taufa milega hume ye to nhi the jaante
Bina kuch soch bs haar gye the ye dil
tumpe aakhir tumhe hi hum apna the maante
Tum to chale gye yun chor hume us waqt
Par na jaane kyu tujhe ab bhi yaad
krta hai mera dil ye kambakht
Khair tumse ab to koi ummeed bhi
nhi h kyuki baat jo wafa ki hai
Ab to tanhayi ka shara lekr hi jina
hoga kyuki ye raat abhi bhi baaki hai...
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