Ayushi Nagar   (Ayushi Nagar)
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Joined 24 July 2023


Joined 24 July 2023
28 JUN 2024 AT 22:11

પરિસ્થિતિ વિચારવા દેતી નથી, ને
વિચારી લઈએ કદી તો શબ્દો
મન સુધી પહોંચતા નથી.અને
હાલતો કહેવા ઘણા મુશ્કેલ
થઈ જાય છે જ્યારે શબ્દો જડતા નથી.

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16 JUN 2024 AT 20:04

" अब क्यू नींद आती नही मुझे, ये रात राज़ आती नही मुझे
आंसु भरी ये आंखे रात भर तकती रहती उस चांद को।"

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12 DEC 2023 AT 3:10

“आज क्यू भीगी हे पलके तेरी, क्यू डर चहरे पे
छाया है।क्या वो वही है जो तूने सब से छुपाया है?

क्या फिर से पड़ा है उस हैवान का साया तेरे आंचल पे
क्यों आज तेरे मुंह से एक निवाला तक उतर नही पाया है।

आज दिन में भी अंधेरा है क्या फिर से ग्रहण लग गया है?
धड़कने क्यू तेज हे तेरी क्या वो तेरे करीब आ रहा है।

क्या वो गालों को लगा हुआ थप्पड़ तेरी रूह को भी तोड़
गया हे?क्या आज भी चीखे तेरी उस बंद कमरे में ही कैद है?.......;

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29 OCT 2023 AT 19:01


“ किन आंखो से देखू ए ख्वाब तुझे,
जब कीमत लगने लगी है तेरी इन बाजारों में।
रात को सोते तो है मगर अब इन आंखों में
ख्वाब नहीं, केसे देखु मे ख्वाब अब ख्वाब उन्ही के
होते हे सच जिसके पास पैसे होते हे पूरे ।
हैसियत देखकर देखे जाते है ख्वाब अब
हकीकत में ख्वाब के पीछे छूट जाते हैं सब।
कभी कभी ख्वाब पूरे करने की क़ीमत अपनो
से दूर हो कर चुकानी पड़ती है।
अब ख्वाब देखने की हिम्मत नहीं,
क्युकी ख्वाब देखने की भी कीमत लगती हैं। ”




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14 OCT 2023 AT 19:49

“ ये जिंदगी हे प्यारी इसे यूही बर्बाद न कर।
जी भर के जी ले इसे मौत के हवाले न कर।
एक बार हार गए जिंदगी में तो क्या ?
तेरे साथ कोई नही तो क्या? एक बार
उस आईने में देख खुदको तु,तेरे पास
तु खुद हे अपने साथ । ”


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6 OCT 2023 AT 18:15

ये आंखे कुछ कहती है,
क्या कुछ सहेती है फिर
भी खामोश रहती हैं।

कभी खुशी तो कभी गम
कभी गुस्सा तो कभी दर्द
बया करती ये आंखे फिर
भी यूंही खामोश रहती है।

कितने जुल्म करती ये आंखे ,
कितने जुल्म सहती ये आंखे,
बुरी नजर से देखती ये आंखे,
फिर भी खामोश रहती है ये आंखे।


- ayushi nagar




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22 SEP 2023 AT 19:42

રહેવા દે મને મારા બાળપણ ના ઓરડા માં ,
નથી મઝા હવે જુવાની ના મોંઘા બંગલામાં.

વળાવી લે આ જુવાની નું ગાડું, મને તો વ્હાલું
હતું મારું બાળપણ એ કાગળ ની નાવડી વાડું.

શું કરવા આ બધા પૈસા મારે? તે લાવી નહિ શકે,
એ હસતું રમતું ખોવાઈ ગયેલ બાળપણ મારું.

જુવાની ના આ બાવળ એ કચડી નાખ્યું બાળપણ
નું કુમળું ફૂલ મારું, હવે વડાવ તું આ જુવાની ગાડું.

કમાયા કરોડો રૂપિયા જુવાની માં પણ તે નહિ લાવી શકે,
એ રસ્તામાં જડેલ પચીસ પૈસા જેટલું સ્મિત ચહેરા પર મારું.

હતું એવું બાળપણ મારું તેની યાદોમાં ભરાઈ ગયું પોટલું મારું
આખરે વહી ગયો મારા બાળપણ નો સમય એ પાણી ના વેગે.










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21 SEP 2023 AT 12:09

चलो खुद के लिए कुछ किया जाए
थोड़ा समय निकल के क्यों न खुद
से ही बाते कर ली जाए, छोड़ कर
परेसानिया इस सारे जहा की तो
चलो कही खो जाए, किसी और
के लिए नहीं आज खुद के लिए
खुद को संवारा जाए, किसी दूर
समंदर में सारे गमो को बहाकर
खुशियों के गोते लगा लिए जाए,
चलो आज फिर से बचपन की
खिड़कियां खोली जाए,आज
कॉफी को छोड़ वो टपरी वाली
चाय पी जाए, सहेरो के रास्तों
को छोड़ चलो आज गांव की
गलियों में घुमा जाए, चलो आज
खुदके लिए कुछ किया जाए.....


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17 SEP 2023 AT 21:02

कभी यादों की खिड़कियां खुली रखना तु,
मुझे पाने की चाहत बरकरार रखना तु
जो पल बिताए थे किनारे पर साथ हमने
जहा रेत से बनाए महेल थे अपने
वो किनारे याद रखना तु ,
कभी छूट भी जाए जो साथ हमारा
युही यादों में याद रखना तु
कभी भूलना मत उस बारिस को जहा
भिगेथे पूरी रात हम दोनों ।
कभी भूलना मत उन वादों को जिसे
हमदोनो को मिलकर करना है पूरा ।
बस इन वादों के लिए यादों की खिड़कियां
खुली रखना तु ।

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15 SEP 2023 AT 12:34

दिलो के शहर में डर ही मेरा घर हे।
इस घर में रह रहे कई मेहमान है।
कोई तन्हाई तो कोई चिंता है।
किसके मार का किसके डाट का
पल रहा छोटा सा कस्बा है।
डर के बड़े से घर के आगे टूट
रही अरमानों की बस्ती है।
इसी बीच आंसू का बन रहा
छोटा सा तालाब है,सभी
अनजान हैं इस शहर से
जहा डर ही मेरा घर है।
यहां रह रहा मेरा आज
और गुजरा हुआ कल है।

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