हाँ गलत हूँ मैं, काफी गलत...
सबको आवाज़ देते देते अपने लफ़्जो से,
आज फिर खुद अकेली हो गयी हूँ इस शाम मे,
ना गिला है, ना रंजिश है, ना ही बैर है किसी से,
यूँ कहलो बस ख़फ़ा हो गयी हूँ खुद से,
कभी नाराज़ होती हूँ, तो कभी रूठ भी जाती हूँ,
ना जाने अपने दिल की सुन ही नहीं पाती हूँ,
फिर सोचती हूँ, समझती हूँ, पहल भी करती हूँ,
फिर खुद से ही हारकर, खुद मे गुम हो जाती हूँ,
जीवन के सफर को खूबसूरत बनाने मे,
मंजिल को झुठला दिया करती हूँ,
जज़्बातों मे यूँ मशरूफ होकर,
अपने आप को ही खो दिया करती हूँ,
शायद काफी गलत हूँ खुद के लिए,
दुसरो में ही खुद को खुश कर लेती हूँ
हाँ गलत हूँ मैं, काफी गलत हूँ,
झल्ली ही नहीँ, नादान नासमझ बन गयी हूँ,
कोशिश तो काफी की इस गलती को सुधारने की,
अपने आप को अपने से ही जीत जाने की,
पर अक्सर हार जाया करती हूँ दुसरो के लिए,
और खो सी जाती हूँ कहीं,
ना जाने कबसे खुदको इतना नापसंद करने लगी हूँ,
इस भाग दौड़ में अपने लक्ष्य को भूल सी गयी हूँ,
भूलना तो इन आदतों को चाहती हूँ,
थोड़ा रुक कर, आगे बढ़ना चाहती हूँ,
ना मशवरा, ना ही सलाह चाहती हूँ,
लेकिन खुद को इतना गलत देख भी नहीं पाती हूँ,
अब बस खुद के लिए कुछ करना चाहती हूँ,
अपने आप को अपने आप से वापिस चाहती हूँ।
~Ayushi choudhary
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