Ayush Vats  
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Joined 1 September 2018


Joined 1 September 2018
21 AUG 2022 AT 21:45

किनारे की चाहत थी हमें
जाने कब लहरों से दोस्ती कर बैठे ।

ऐसे ही अच्छे-भले थे हम
क्या पड़ी थी कि मोहब्बत कर बैठे ।

कभी कहा था उसने अच्छा लिखते हो
लो एक और झूठ पर यकीन कर बैठे ।

उजाले कि चाहत में फिरते रहे दर-बदर
हश्र ये है कि अब अंधेरे से यारी कर बैठे ।

बड़ी खामोशी से सुनता ये हमारी बातें
सो तेरी सारी बातें हम इस समंदर से कर बैठे ।

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14 MAR 2022 AT 9:04

बस अब बहुत हुआ
हम यूं ही ठीक हैं
अब तेरी यादें तुम ही को मुबारक
अब हम यूं ही ठीक हैं
अब बारिशों में नहीं भींगना
हम बादलों से घिरे हीं ठीक हैं
वो क्या कहते है उसे दिल्लगी
हम खुद्दारी करते हीं ठीक हैं
अब क्यूं ढूंढना तेरा ठिकाना
हम अपने शहर में हीं ठीक हैं
अब क्या सबूत दे अपनी बेकसूरी का
हम हवालात में बंद हीं ठीक हैं
शहर में अब भी तेरे मेरे चर्चें है
हम इस खबर से ही ठीक हैं
अब और भी कुछ लिखें क्या
खैर छोड़ो हम यूं ही ठीक हैं

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15 MAR 2021 AT 1:12

मेरी गीतों में तुम हो या तुझमे मेरे सब गीत हैं,
मैं जब-जब गीत गाता हूँ सब तेरा ही जिक्र करते है।

ये शहर के लोग अब हमें इश्क़ सिखाएंगे,
जो अपना सब काम सोच-समझ कर करते हैं।

उनके इश्क़ का सबब परिंदे खूब समझते हैं ,
उन्हें वो कैद रखते हैं जिन्हें वो प्यार करते हैं।

इश्क़ करना है और नाम का गुमान भी है,
आप रहने दो ये काम हम बदनाम करते है।

ये कैसा जंग हम खुद से दिन-रात करते हैं,
न मिलने का इरादा भी है और बंद आँखों से दीदार करते हैं।

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11 JAN 2021 AT 14:17

अब आजा थाम ले हाथ और चल
छोड़ जमाने को
छोड़ अपने आशियाने को
देख धूप में कोई खड़ा है
साये बनने को
तो तू थाम ले हाथ और बस चल..

न मेरा नाम पूछ
न मेरा पता पूछ
न मंजिल की सोच
तू बस थाम हाथ और चल........

देख अंधेरा अभी होने को है
देख चाँद बादलों में खोने को है
देख तेरा जिक्र होने को है
देख फिर कोई तेरी यादों में खोने को है
तो तू बस चल........

देख झिंगुर पायल छनका रहे है
देख कैसे गुलमोहर ज़ुल्फ़ बिखरा रहे है
देख नदियां बलखा के आ रही है
देख ये सर्दी धीमे धीमे गर्मी पे छा रही है
तो तू बस थाम ले मेरा हाथ और बस चल........

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25 NOV 2020 AT 21:58

न जाने कितनी मशक्कत
न जाने कितनी शिफारिश
माफ करना पर ये इश्क भी
अब "सरकारी" लगता है ।।

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10 MAY 2020 AT 13:23

मेरी हिफाजत क्या खुदा करेगा
मेरे सिर पे मेरी माँ की दुआएं रहती हैं।।

मैंने तो बस बड़े शहर जाने की बात कही
माँ उस दिन से बहुत उदास रहती हैं ।।

गम का बवंडर भी बस छू कर चला जाता हैं
भींगे आँचल से माँ जो मेरी आँसू पोंछती रहती हैं।।

किसी ने पूछा जो मेरे खुदा का पता
कह दिया मैंने मेरे घर मे मेरी माँ रहती हैं।।

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1 MAY 2020 AT 0:17

ये आपकी गली ये आपका ठिकाना
दिल तो मेरा हैं पर आपही का है आना-जाना।

खत़ हैं पूछते आपके हम तो पते पर है
वो कहाँ हैं जिन्हें था इस पते पर आना ।।

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16 APR 2020 AT 14:03

जिंदगी बेहद आसान गुजर रही
चलो जरा इश्क़ करके देखते हैं ।।

वो आमदा हैं हमसे गुफ्तगूं के लिए
सो उनसे बात करके देखते हैं।।

लोगों मे दहशत है मोहब्बत के नाम से
उन्हें तेरी गली का पता देकर देखते हैं।।

आजमाती रही हमें तू बरसों से ए जिंदगी
इस बारी हम तुझे आजमा कर देखते हैं ।।।।

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12 APR 2020 AT 23:37

फिर उनसे बिछड़ने का इरादा किया हमनें
एक बार फिर उनसे वफा का वादा कर लिया हमनें।

अपनी बेगुनाही का सबूत देते-देते न जाने कब
मयखाने तक का सफर तय कर लिया हमनें ।।

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16 MAR 2020 AT 4:12

हंसाना तेरे बस मे नहीं अब शायद,
आ मुझे अब जी भर के रुलाया कर।

न मेरे खत़ पढ़ न मेरा इंतजार कर,
गर इश्क हैं जरा भी तो कभी तो मुझे याद कर।।

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