अभिमान को जो ज्ञान से घायल बना दिया
इतिहास को जो नीति से कायल बना दिया
कायर न था वो धैर्य से अपमान सह रहा
जिसकी शिखा के शोध ने भारत बना दिया-
महरूम मैं ख़ुद से छूटता जा रहा हूँ
दिन दिन करके टूटता जा रहा हूँ-
तुम सामने हम सामने
तुम्हें पता था हम हैं हमें पता था तुम हो
न तुम देखे न हम देखे
एक सुकून दिखा बस कि तुम पास हो मेरे
दिल किया तुमसे बोलें
न तुम बोले न हम बोले
.
हम रूठ कर भी सोचते
कि तुम्हें कैसे मनाएंगे
तुम मस्कुरा बस दो साले
हम उठक बैठक लगाएंगे
फिर अचानक तुम चले गए
सब कुछ छोड़ के बस चले गए
.
ठीक है तुम गए हो
पीछे हम भी आएंगे
सबसे पहले तो तुम्हें
कस के गले लगाएंगे
और हाँ
वो जो अधूरी छोड़ गए हो साले
Goa wali trip पे जाएंगे-
तेरे होठों पे सिलवटें अच्छी नहीं
इक काम कर तू मुस्कुराती रहा कर
मेरी नम आँखों से तुझे चंद खुशी भी मिले गर
तो इक काम कर मुझे रुलाती रहा कर-
तू दूर हो मुझसे कभी यूँ लम्हा नहीं होता
तेरी आदतें मुझमें उभर आती हैं
कि अकेलेपन में भी मैं तन्हा नहीं होता-
जा ये खुशी भी तुझको उधार देता हूँ
सनक चढ़ी है जो तेरे इश्क़ की
उतार देता हूँ-
मेरे रूह की हर प्यास मुझे तेरे नाम से बुलाती है
तेरा नाम जिनमें शामिल नहीं,
वो चंद बची ख़्वाहिशें भी मुझे तुझसे ही मिलाती हैं-
मुझे नींद नहीं आती की उसकी याद आती है
रास्ते भर मैं उसको ढूंढता रहता हूँ
मेरी नफ़रत में वो बेचारी मेरे बाद आती है-
उस मनचली को देख चिड़िया घंटों चहचहाती रही
हम तो छिपे बैठे थे इक ओट के तले
और वो बेसुध होके बारिश में नहाती रही-
दो घड़ी तेरी याद की भी मुद्दत लगती है
इतनी लम्बी उमर मैं काटूँ कैसे
तेरे इश्क़ के तौर पे कुछ दर्द ही तो हैं मेरे पास
इन्हें किसी और के साथ मैं बाँटू कैसे-