किसी को लगे खाली किसी के हमराज रहे,
मौसम के आते तक पत्ते ,पेड़ो से नाराज रहे ।।
कभी रोका लहरों ने ,कभी आंधियों ने घेरा ,
फूल की ख्वाहिश थी कि कांटे सरताज रहे ।।
तेरी परछाई तक पहुंचते गुजर गया एक जमाना,
नज़र न मिल पाई हम लफ्जों के मोहताज रहे ।।।
दिल में दफन कर दिया खुद ही को मैने फिर ,
जो सिल गए मेरे होंठ, तो कुछ राज़ ,राज़ रहे ।।
दौर-ए-तवंगर हावी है अभी मुफ़लिसी में आयुष ,
सोने का सेहरा उनका, हम कहां कागज का ताज रहे ।।
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नजरें मयस्सर कहा अब तलबगार के नूर में ,
डूबा रहता है इक चांद अपने गुरूर में ।।
बेहतरीन सा ख्वाब अब रौंद दिया गया ,
मुकम्मल होगा तो ये इश्क अब हूर में ।।
कब तक रोज हम अर्जी लगाते रहेंगे गालिब,
कुछ पेचीदिगिया बाकी हैं मेरे और हुजूर में ।।
लगा था की तलाश खतम हो गई है मेरी ,
अब महसूस हुआ गलत था जरूर मैं।।
कब तक सिक्के को उछाल कर फैसला करू ,
सिक्का आंख मिला के बोला तू था किस गुरूर में ।।-
मेरे एतमाद को बेशक सलामत रखा उसने ,
दिल लगाया किसी और से चुपके चुपके उसने ।।
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बन जाती है जिंदगी एक तमाशा मेरे दोस्त ,
जब अपना शागिर्द ही अपनी बाजी पलट दें ।।-
हर चीज में उसका अक्स नजर आता हैं ।।
वो शख़्स मुझे हर वक्त नज़र आता हैं ।।-
अब उड़ने को आमादा है एक पंछी पिंजरे से ,
लगता है उसके भी अब पर निकल आए हैं ।।
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आ भी जाए वापिस तो एक ख्याल दिल में चुभता रहेगा ,
हमें अकेला करने की साजिश में शामिल तो वो भी थे ।।
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घर के दिए को किसी और चिंगारी का सुराख मिला ,
छोड़ दिया हमने उसे जब हमें ये सुराख मिला ।।-
एक बात खलती रहेगी हमें उम्र भर ,
मेरे आशुओं से उन्होंने होली खेली हैं ।।-
एक दिल में दो शख्स का आना जाना लग जाए ,
पहला शख्स फिर पीछे हटने को मजबूर हो जाए ।।-