रात को सोचूँ सुबह को जागु
कुछ काम करू दौड़ू भागू
दौड़ भाग कर फल मिल जाए
आज घटे कुछ कल जुड़ जाए
जुड़े अर्थ तो आसानी होगी
फिर कुछ मन कि मनमानी होगी
मन कहता जो, अर्थ से ज्यादा
मन वजीर, तो अर्थ सा प्यादा
प्यादे को पर काम बहुत है
आशा उसकी आराम बहुत है
आराम कमाने कर्म है लागु
कुछ काम करू दौड़ू भागू
रात को सोचूँ कि सुबह क जागु....
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मंज़िल पर भी तुम्हारी खबरी छोड़ रखे है हमने.....
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रात जितनी नम दिन उतना खुश्क हुआ
न जाने कौन सी घड़ी में मुझे इश्क हुआ-
पड़े भले चिंगारी पानी में,चमक बढ़नी ही चाहिए
लगे आग ज़िद से करम की, लगनी ही चाहिए
तेरे छटपटाने से दुनिया का सिर उठ गया
तेरे जाने से कमी खलती है, खलनी ही चाहिए-
आगाज़ करता है कोई शराब पिलाने का
वर्ना शौक तो नही था हमे गला जलाने का
सबक सीख दिल को कसकर झिंझोड़ डाला हमने
हशर ऐसा होता है बेवफा से दिल लगाने का-
नेक खुशमिज़ाज़ और कामी है यार
दोस्त भी भाई भी हमारा सानी है यार
सोचा की सोचु तू कहा तक है ज़रिया
हकीकत कहे क्या -तू अलग ही कहानी है यार-
ऐ हमनवां
तल्खियां तंज़ से तराशे है हम -हमनवा
तस्सव्वुर के ताबीर में हम यु ही हे -हमनवा
तू रख् ज़हन में फिर ही कर फ़ैसला इश्क का
दासता ये मुश्किलो की सही नही है -हमनवा
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हर एक दौर ज़िन्दगी का तार जैसा देखिये
उम्र अपनी ज़िन्दगी की सितार जैसा देखिये
देखिये बुलंदियों को इक नयी सी गज़ल
मोहब्बतों को रोज़ का रियाज़ जैसा देखिये-
चाहे कितना हो रुआब कोह का दुनिया में
अपने ही पत्थर को बिखराव देता है
वादी संभाल लेगा पुरे आलम की
पर अपने ही सिरों को ठहराव देता है-
जाकर गलियों में याच शहर की रंगत कितनी बदल जाती है
आवाज़ नही आती मन की लेकिन रूह शोर मचाती है
अपनी आदत बदलो तुम चौबारे में आने की
कभी गलिया यादें लाती है कभी यादें गलियों की आती है-
मंज़िल इस कदर देखि हमने बेतहाशा
बस एक कदम भूले की दर बा दर भटकते ही रहे-