इस समंदर में एक नाव मेरे साथ है
अब टूट चुकी है वो भी
छोड़ दिया है उसने मेरा साथ
किंतु डूबते हुए भी
मैंने पकड़ रखा है
उस नाव का पुर्जा-पुर्जा
मैं नही छोड़ना चाहता उसे
उसने दिया था मेरा साथ
उन दिनों में
जब मैं अकेला था
इस अथाह समंदर में।
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आज के युग में
प्रेम के पवित्र होने की संभावनाएं
उतनी ही है
जितनी इस देश में
किसी राजनेता की ईमानदार होने की संभावना होती है।
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मुझे नही मिला कोई धोखा
बल्कि मैने दिया है एक धोखा खुद को
यह समझा कर कि
आज के युग में भी
प्रेम पवित्र और शाश्वत होता है।
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किसी साहिल पर बैठे रोज़ सोचता हूं
कि भुला दूंगा तुम्हे
तुम्हारी यादें, तुम्हारी आंखें, तुम्हारी बातें
तुम्हारा हंसना, तुमसे मिलना और वो राते
तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी गलियां, और तुम
भुला दूंगा सब कुछ
किंतु सोचते सोचते सहसा ही
दिल की धड़कने बढ़ जाती है
और एहसास होता है मुझे
मैं भूल सकता हूं दुनिया में सबकुछ
लेकिन कोई है जिसे नही भूल सकता
तो वो हो ’तुम’
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डर लगता है
तुम्हे स्पर्श करने से
कहीं मेरे खुरदुरे हाथ
तुम्हारी कोमलता को चोट न पहुंचा दें
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इस छोटे शहर में
तुमसे मिलने की संभावनाएं
सिर्फ इतनी है
जितनी संभावनाएं इस देश में
रेलगाड़ियों की वक्त पर
आने की होती है-
मैं तुझे देखना चाहता हूँ
जिस तरह चाँद
बादलों की ओट में छिप-छिपकर
देखता है धरती को
मैं तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ
जिस तरह नदियां
उन घाटों से कल-कल के स्वर में
कुछ कह देती हैं
मैं बैठना चाहता हूँ तेरे संग
तब तक जब तक की
ये चाँद का धरती को देखना
और नदियों का घाटों से
बातें करना
खत्म नही हो जाता
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ख़्वाब, जो होता है
किसी कांच के खिलौने की तरह
वो ख़्वाब,
रोज मेरे हाथों से छूट जाता है
और टूट जाता है
गिर कर
फिर उसी ख़्वाब के टुकड़े
चुभते है
और दे जाते है हजारों ज़ख्म
जो नहीं भरते ज़िन्दगी भर-