Ayush Singhania  
424 Followers · 137 Following

read more
Joined 7 September 2017


read more
Joined 7 September 2017
6 AUG 2022 AT 21:44

मैं सोचता हूं
जिस्म के बाद क्या होगा;
ताउम्र तो बदन एक सा नहीं रहता,
एक उम्र के बाद बदन पर सिलवटे और उलझने आम सी हो जाती हैं,
तब शायद साथ ही प्रेम होता हैं;
इसीलिए भी शायद प्रेम में शरीर ताकतवर भले हो,
पर क्षणिक होता है;
फिर साथ होना ,
थोड़ा सुनना , थोड़ा कहना ,
मुस्कुराना ,
हाथ पकड़ कर सफ़र पर चलते जाना होता हो;
पता नही ,
पर जब मोटरगाड़ी पर बैठे हुए दुनिया को देख रहा था,
तब एक हाथों पर सिलवटो से ये ख्याल आया;
उम्मीद है जब हम मिले ,
तो ये एहसास साथ वाला ज्यादा ताकतवर हो.....!

-


19 JUN 2022 AT 0:41

ना जानें कितनी ही दफा प्रेम को आखरों की अनगिनत अभिव्यक्तियां हासिल हुई है; सबने प्रेम को अपनी अपनी परिभाषा और समझ से पिरोया है.....
कोई सब्र की नींव पर इसे गढ़ता है तो कोई इच्छाओं की तीव्रता और उसके साथ आने वाले अनुभवों पर;
प्रेम को लिखना , पढ़ना बहोत सुकून देना वाला एहसास है , इसको पढ़ लिख पाने वाले वाकई ऊपरवाले के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे जो इतना सूक्ष्म , प्रगाढ़ , अनुभव शब्दों की भाषा से अनुवादित कर पाते हैं;
मैं दावा नही कर सकता प्रेम को समझ लेने की प्रतिस्पर्धा में मेरी उपस्थिति का;
पर यह बिना किसी मतभेद के कहा जा सकता है की,
ये एक ऐसी अभिव्यक्ति है , जो तब भी विशेष थी जब पहली दफा लिखी गई होगी , आज भी है और भविष्य के हर उस क्षण रहेगी जब भी प्रेम को हृदय की भाषा का अनुवाद मिलेगा.....

हां पर,
एक चीज जो इस दुनिया में रहकर , देखकर समझ आती रहती है वो ये की -
आपका प्रेम आपके प्रेम की तरह के प्रेम के योग्य है....
ख़ुद को कम समर्पण का क्षणिक तोहफ़ा मत दीजिएगा;
आपको मिलने वाला प्रेम आपके समर्पण का प्रतिबिंब होना चाहिए और
अगर उससे ज्यादा मिला तो आप उन चुनिंदा खुशनसीबों की फेहरिस्त में शामिल है, जिसके लिए आपको ऊपरवाले को हर पल शुक्रिया कहना चाहिए......!
इंतजार कीजिएगा , आपके समर्पण का साथी आपके प्रेम के प्रतिबिंब के रूप में कभी न कभी आपसे जरूर टकराएगा.....

-


14 JUN 2022 AT 10:52

कितना खूबसूरत होता होगा है ना,
दरिया का किनारे पत्थर से टकराना;
इक अविकल अभिव्यक्ति का किसी दूजे से मिल जाना;
वो आवाज बहते पानी की,
कैसे आवाज़ देकर चूमती होगी सख़्त पत्थर को,
कितना हसीं हो जाता होगा ना,
इक पल को पत्थर का पानी हो जाना;

-


8 JUN 2022 AT 23:42

Ain't we all are same few atoms ,
who are just dancing differently.......!

-


24 APR 2022 AT 16:08

इक लिफ़ाफा हैं यादों का, यारी का,
कुछ हमउम्रों के साथ, हर अनूठी कहानियों का ;
इसमें टपरिया है , किस्से है;
जेब ख़ाली पर, भरे दिल की निशानी हैं;
हॉस्टल की रातें है,धूप में पैदल चलते पैरो के छाले हैं;
कुछ get outs हैं, पर हंसी का शोर बहोत loud हैं;
झगड़े हैं , लड़ाइयां हैं, लंबी चुप्पी का शोर हैं;
फिर सुलह के बाद के सुबह की, गालियों वाला भोर हैं;
रात तक का जागना है इसमें, फिर दिनभर नींद के भागना है इसमें;
भूखे पेट वाली होली भी है, कभी सिर्फ चाय और कचोरी भी है;
कुछ रातों को होटल की रईसी भी है,
थोड़ी ऐसी थोड़ी वैसी भी हैं;
बचपना भरा लगता हो बेशक ये लिफ़ाफा,
पर बहोत दिलेर कहानी भी है;
हंसना रोना दोनो मिलजुला सा है,
हर किरदार की रवानी नई हैं;
कोशिश की कुछ लफ्जों में लिपट कर बयां हो जाए,
पर ये शायद , वैसी मामूली कहानी नहीं हैं;
सब रंग हो सकते है रिश्ते के इसमें मगर,
दाग कोई बेईमानी नही है......!
: (यारों की तरफ से यारों के नाम)

-


25 FEB 2022 AT 15:37

a part of being human is to be able to see the human in others also.....!

-


20 JAN 2022 AT 18:30

दो काश, जो मानो आज हक़ीक़त हुए हो.....!

-


11 JAN 2022 AT 15:45

इस उम्मीद में की वक़्त सबको बदलता है,
सोच से, शरीर से , सेहत से,
सो,
दुआ की वो नाम खुश रहे,
दुआ की वो होंठ हंसते रहे,
दुआ की वो आँखें चमकती हो,
दुआ के कोई आँसू न तुम्हें मिला करे,
दुआ की तुम , तुम से भी ज्यादा ख़ूबसूरत रहो,
दुआ की वो तिल होंठो को आबाद रखे,
दुआ की सेहत बरकरार रहे,
दुआ की अपने तुम्हारे सब साथ रहे,
दुआ की तुम्हारी आवाज़ वैसी ही हो,
दुआ की हर ग़लत आवाज़ की माफी हो,
दुआ की दोनों किसी एक बात पर राजी हो,
दुआ की वो जो दोस्ती थी कभी,
दुआ की वो वक़्त के जेहन में बाकी हो,
दुआ की वो नाम आबाद रहे,
दुआ की उस शक़्स की सेहत बरक़रार रहे,
दुआ की दोनो के हिस्से सुकून और सेहत हो,
दुआ की ये दुआ क़ुबूल हो....!
जन्मदिन मुबारक़

-


31 DEC 2021 AT 15:40

पुरुष.....

-


25 DEC 2021 AT 18:07

दस उँगलियाँ,
और अनगिनित लम्हों में बुना वो जाल,
चश्में को भेदती रोशनी,
धुंध में जुड़ा दोनों का हाथ,
भीड़ की तेज़ी में,
सांसों की धीमी सी वो चाल,
मन की दौड़ को कैसे समझाए कोई,
उस लम्हें का एकांत,
जहाँ पाने की ज़िद वाली दुनिया में,
होने भर का हो सुकून प्राप्त,
मानो अप्रेषित , अनिश्चित , बिना किसी पते का लिफ़ाफ़ा सा हो बस,
पर डाकिया और मंजिल दोनों ने सब्र धरा हो....!

-


Fetching Ayush Singhania Quotes