Ayush Rastogi  
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Joined 21 September 2018


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Joined 21 September 2018
12 AUG 2022 AT 15:57

क्या करूँ क्या न करूँ,
ये आपदा हर बार है,
एक तरफ है घर मेरा,
एक तरफ गुरु का द्वार है.
कह कवि अरे मूढ़ मत,
क्यों है तू यू उलझा रहा,
जब गुरु है तेरे संग,
तब क्या है घर क्या बार है,
हर तरफ गुरु का ही घर,
हर तरफ गुरु का द्वार है.

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11 AUG 2022 AT 7:02

धर पर पड़ते, ये मोतियों से,
मन को छूते इनके बोल,
चांदनी रातों के पहरे,
हैं लगते ये ख्वाबों के सहरे.

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11 AUG 2022 AT 7:02

सुनता हूं मैं,
इन रूखी बहती हवाओं की नर्मियाँ,
मन की तिजोरियों में बैठा,
दिल के खामोशियों के दरमियाँ.

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20 MAY 2022 AT 20:56

The most certain thing is uncertainty.

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18 MAY 2022 AT 8:07

चाहता तो कबका पा लेता तुझे,
ठहर जाता हूँ मैं अकसर ये सोचकर,
क्या आंखों में लिखा होगा तेरे मेरा नाम,
क्या तुझे भी होगा मेरा इंतज़ार.

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17 MAY 2022 AT 15:02

तुझसे दूर जाने की ख्वाहिशें करता,
चाहतें खड़ी रहती राहों में,
खींच रही हो तुम मुझे कुछ ऐसे,
जैसे तेरी यादें घुली हो इन हवाओं में.

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17 MAY 2022 AT 14:24

उठाऊं मैं कलम,
कि लिख गुज़रूं कुछ ऐसी बातें,
मिल सके तू मुझे कुछ ऐसे,
पूरी हो ये अधूरी मुलाकातें.

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17 MAY 2022 AT 6:52

कोशिश तो करते हैं हम,
यूं तो कि उतरे कभी तेरी ख्वाबों में,
न चाहते हुए भी,
खो जाते हैं तेरी निगाहों में.

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28 APR 2022 AT 19:48

काफी हूँ

चलता रहूं अपनी राह पर,
मस्त होकर अपनी धुन में,
ना होश हो इस जग का,
न किसी का इंतज़ार.
खुद में ही मैं काफी हूँ.

हूँ रुकता मैं यूं उलझकर,
सोचता कि समझ सके मुझे कोई,
नादानियों से भरा ये सोच,
हर कदम पर तोड़ता मुझे.
खुद में ही मै काफी हूँ.

है बनाया मुझे अपना अंग,
उस आदिगुरु महादेव ने, गुरुमां के मातृप्रेम से तृप्त,
चल पड़ा मै इस राह पर,
कृष्ण, राम की आदर्शों पर डटकर,
आज लिखूँ मैं एक नई दास्तान,
खुद में ही मैं काफी हूँ.

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18 DEC 2021 AT 20:03

Being an outlaw, being of a separate trait and belonging doesn't hold you back. As long as you keep on surpassing your limits, you will be invincible.

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