उसका चेहरा नूर ऐसा ,
हो कनक झलमल चमकता जैसे किसी प्रदर्शनी में,
देख ले कोई नाबीना तो हो भनक की उठी एक चमक,
चिंतामणि जैसे हो चमकती कृष्णपच्च की रोशनी में।
उसका चेहरा नूर ऐसा ,
आंख त्रिलोचन की तीसरी जैसे कभी विमल खुले ,
कर ले स्पर्श जो सुन्न भी तो हो भनक मृदुवं सी,
जैसे कोई सरिता शुष्कभूमि से निर्मल मिले।
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"The dream that dreamt of me"
I sought myself in tides and time,
In nameless echoes, lost in rhyme.
A thousand faces blurred and thin,
Yet only yours could draw me in.
You hummed a tune so faint, so true,
A song I somehow always knew.
Each trembling note, each whispered line,
Unraveled dreams once veiled as mine.
Those dreams took shape, then slipped away,
Like fleeting dawn, like evening grey.
They rose, they fell—like breath, like prayer,
Dissolving in the silver air.
No name remains, no self, no sign,
Yet something breathes in thee and mine.
Was I the dreamer lost in thee,
Or thou the dream that dreamt of me?-
"समय का राही"
(Complete poem in discription)
समय का हूँ राही, राह खोजता हूँ,
सत्य की ज्वाला या इतिहास मोड़ता हूँ?
सत्य अकेला सही, पर वही है अमर,
जो जलकर भी बन जाए युगों का वो स्वर।
हर युग में है अच्छाई-बुराई का द्वंद्व,
कोई असुर, कोई देवता, कोई मंद।
कृष्ण हों या हों राम, सबने उसे अपनाया,
जिसने सत्य को जिया, समय ने उसे ही है गाया।-
राहों में फूल बिछाना मेरी फ़ितरत नहीं,
पर ख़्वाबों में रंग भरना, ये आदत जरूर है।-
Two different tales...
बेतहाशा मोहब्बत करते है तुमसे,
ऐसा न किया करो, ख़याल रखा करो।
कौन सी अदाएं हैं तुम्हारी,
कि हमें देखने छत पर नंगे पाँव आ गए,
अरे ख़याल रखा करो...
कि ये कौन सी अदाएं हैं तुम्हारी,
हमें देखने तो छत पर नंगे पाँव आ गए...
और अपनी जुल्फ़ें भी नहीं संवारीं।
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वो तो जिस भी दर गए,
सिरात-ए-जन्नत कर गए,
गुल तो गुलिश्तो में ही थे,
पर बंजर भी बन बन ज़र गए..।
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हमें इतने करीब से भी ना जानो सनम,
हमीं में रातें तुम्हारी ये खो जाएंगी....
कहती हो कि कल खतम करते हैं ये बात....
क्या फायदा कह के कि चलो कल खत्म करते हैं बातें,
क्या बातें हमारी कल पूरी हो जाएंगी....?
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अगर तू जो कहे तो खुद को भुला दूं,
तुझे भूल जाने की ताकत नहीं है।
नवाज़िश से तूने करी बेवफाई,
मगर हमको तुझसे शिकायत नहीं है।
कहा है सखाओं ने तुझको मिटा दूं,
मगर दिल से इसकी इजाजत नहीं है।
जताया रफीक तूने कर बेवफाई,
मेरे इश्क़ की तू लियाकत नहीं है।
अगर तू जो कहे तो खुद को भुला दूं,
तुझे भूल जाने की ताकत नहीं है....-
मेरे जीवन की सूची मे तेरा यश आज भी उत्तम है,
हस्ता हर जगह हूं मैं पर आखें भी कुछ नम हैं,
तेरे बिन भी हैं सब खुशियां मगर कोई तो छुपा गम है ,
मुक्कमल जिंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है ।।-