शुरू हुआँ वो सफ़र जो कभी पूरा हुआँ नहीं
छूट गया जो साथ वो अब कभी वापस मिलेगा नहीं
रही होंगी न जाने कितनी बातें मन में अंदर उनके
उन्हें क्या मालूम था अब कभी ये बातें पूरी होंगी नहीं-
मुझे नहीं है समझ दुनिया दारी की मालूम है
मगर साहब हौसला मैं अपनी हथेली पर लिए फिरता हूँ-
उड़ा के रंगों का गुबार,रंग दो ये आसमा आज
मिटा के दूरियों का पुल अपनों के बीच,
बिछा दो मिठास का पुल आज
करो फिर से रिश्तें नए जो पुराने से है
त्योहार जो आया है यार होली का आज-
साथ दिया होता जो तुमने,तो जो हुआँ वो नहीं होता
यूँ इस कदर मैं इस दुनिया से कभी रुखसत नहीं होता
तुम्हारी खुशीयों के लिए तो अम्बर सा बोझ लिए फिरता था मैं
उस अम्बर से बोझ में दम घुटकर कभी मरा नहीं होता
साथ दिया होता जो तुमने,तो जो हुआँ वो नहीं होता-
बात कही नहीं मैंनें मगर उसने समझ लिया
प्रेमिका तो नहीं थी वो मेरी मगर मैंनें समझ लिया-
तुम्हें शायद ख़बर ना हो आने वाले कल की
मगर है तो सही ना ख़बर अपने इस पल की
बेशक़ होगा वक्त इस पल में थोड़ा खराब मगर
याद रखना कोई नहीं जनता तस्वीर अपने कल की
है खुशी का पल आज में तो जिलेना आज में ही
ज़िंदगी मेहमान दो घड़ी की नहीं बस है एक पल की-
बात है कुछ कहने को,मगर कहना नहीं है
टूटे दिल से निकली एक आवाज़ तो है,
मगर उस आवाज़ को कुछ कहना नहीं है
साथ निभा सकते हो तो निभाओ ना
झूठे वादे कर के दिल किसी का दुखाओ ना-
नाम में ही था रत्न जिनके
आज रत्नों में वो लीन हुए
दे कर दुनिया को कई रत्न
रत्न टाटा पंच तत्व में लीन हुए
खड़ा किया एक ऐसा समुदाय
जिसने न जाने कितनों को उबारा
हो परेशानी जरा सी भी किसी को
रत्न टाटा ने सब को उससे बहार निकाला
कोई उनके बारे में क्या लिखेगा
उनका तो जीवन ही खुद में क़िताब कहलाया
याद रहेगी बातें उनकी हम सब को हर वक्त
वक्त का और अपने जीवन का सही उपयोग
तो सिर्फ़ रत्न टाटा जी ने ही है हमको बतलाया
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मनमोहक छवि है जिनकी सब से न्यारी
नटखट बाल गोपाल कृष्ण है अति प्यारी
मात-पित के है सबसे लाडले,है सबके पालनहारी
ब्रह्मांड के है जो रक्षक,है जो सबके बलिहारी-
है दर्ज़ा जहाँ देवी का वहीं हो रहे बलात्कार है
बने सब मुकदर्शक देख रहे होते बलात्कार है
ना हिम्मत किसी में इस हैवानियत को रोकने की
बस सब कह देते है देखो कितने हो रहे बलात्कार है
पहले हुआँ निर्भया कांड,फिर आई खबर वैसी ही बंगाल से
कि देखो कितनी बेरहमी से डॉक्टर से हुआँ बलात्कार है
कौन करेगा न्याय,कौन सुनेगा इन दुखियारों के दुख
यहाँ न्यायपालिका के साथ तो कबसे हो रहा बलात्कार है
काश! कोई होता जो इन सब को रोक पाता
और कोई जानता ही नहीं क्या होता बलात्कार है-