साल बदलते गए त्यौहार बदलते गए
जीवन में किरदार बदलते गए
न सफलता मिली न मैं रुका
यूंही जीवन में आधार बदलते गए
न किस्मत बदली न यार बदले
बस नई उम्मीद मे द्वार बदलते गए
उम्र बड़ी शहर बदले रिश्ते बदले
भार के साथ अधिकार बदलते गए
सुख , प्रेम , धन, भक्ति कि चाह बदली
तो जीवन में रफ्तार बदलते गए
साल बदलते गए त्यौहार बदलते गए
जीवन में किरदार बदलते गए
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Khwab adhura hi rehne do
Pura hua to toot jayega
Fir ya to bachpana chhoot jayega
Ya fir koi apna rooth jayega-
थक गया हूं मैं, इस किरदार से
अब कुछ नया और मज़ेदार चाहिये
कब तक भगाएगी ये जिंदगी हमे
आखिर हमे भी कुछ यादगार चाहिये-
मुझे फिर से बच्चा बनना है
मुझे सीधा सच्चा बनना है
पढ़ाई में थोड़ा कच्चा बनना है
मुझे वही हँसता खेलता बच्चा बनना है-
जाते ही शमशान में, मिट गयी सब लकीर...
पास पास ही जल रहे थे, राजा और फकीर-
तुम आओ कभी तो बताये तुम्हे
अपने दोस्तों से मिलकर दिखाये तुम्हे
कि तुझपर कितना तरस आता है
ये प्यार है मैडम ,हर बरस आता है-
जब भी कुछ लिखता हूं तुम्हारी तस्वीर सामने आती है
न जाने क्यों मेरी कलम तुम्हारी मुस्कान से हार जाती है-
चाय में चीनी सी मिठास हो तुम
मेरे जीवन का विकास हो तुम
पहले परिहास थी अब अहसास हो तुम
क्या हुआ ऐसा की अब इतिहास हो तुम-
आग लगाएंगे तेरी कश्ती में
नाचेंगे मेरी बस्ती में
देखेंगे कबतक तू बचती है
और इश्क़ में कैसे फसती है-