Ayush   (Ayush)
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सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी ...
Joined 6 August 2020


सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी ...
Joined 6 August 2020
4 FEB 2022 AT 20:42

ये कुछ साल चंद मिनटों में बीते
पता न अब क्या हाल होगा
ना तुम रहोगे , ना हम रहेंगे
और वो लम्हा भी कमाल होगा ...

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15 JAN 2022 AT 15:48

अरे थक कर क्यों तुम बैठ गए
ये तो बस शुरुवात है
जैसे तैसे दिन कट रहे
अभी तो बाकी रात है ...
देख के मन घबराता है
वो मुस्कुराता चेहरा मौन है
कुछ लोगों के इस भीड़ में
तू भूल न जाना कौन हैI
और अगर भूले तो ...
पापा की पहली चिंता तुम
मां की कोमल ममता तुम
तुम आजाद परिंदे अम्बर की
तुम रत्न अनोखे समंदर की
परमेश्वर की वरदान तुम
अर्जुन की तीर कमान तुम
तुम अभिमन्यु रण के वीर हो
तुम मां गंगा जैसे धीर हो
महाराणा की तलवार तुम
रण चंडी की ललकार तुम
तुम चमकता शौर्य दिनकर की
तुम आंख तीसरी शंकर की
हो अपना भाग्य विधाता तुम
भविष्य का स्वयं निर्माता तुम
तुम इस मिट्टी का स्वाभिमान हो
तुम खुद की एक पहचान हो ...

रोकने वाले बहुत मिलेंगे
तुम आगे बढ़ने की तैयारी करना
मंजिल की परवाह न कर
मुशाफिर सफर को जारी रखना ।।।

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28 NOV 2021 AT 13:04

आपकी पलकों ने ऐसी करवट बदली
कि हो गई नींद खफा यूं रातों से ,
बारात निकली है उन यादों की ,
जब छूटे थे , ये हाथ तेरी इन हाथों से
और नजाने कब कहां ये हो गया ...
खामोशियों ने सब राज़ खोले
और हम निकल न पाए उनकी बातों से ।

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21 NOV 2021 AT 10:39

टूटे दिलों को ही संजोकर यूं
चलो ख्वाब नया बनाते हैं
वो दर्द दे गए तो क्या हुआ ...
अरे हम तो साथ निभाते हैं ।

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13 NOV 2021 AT 13:31

यूं मंजिल की परवाह न कर
मुसाफ़िर सफर को जारी रखना
रोकने वाले बहुत मिलेंगे
तु बढ़ते रहने की तैयारी करना
6 सालों से जिसका सपना देखा
तोड़ के नींदें रातों की
अब हकीकत बना दे उसको
मिटाकर लकिरें हाथों की
एक वादा किया था तुने कभी
बस उस वादे को निभाना है
10th मेरिट तो ला दिए
अब रक्षा मंत्री लाना है

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29 OCT 2021 AT 0:10

अरे मुश्किलें तो आएंगी
मकसद तुझको हराना है
हंस कर उनका सामना करना
क्षण एक नहीं घबराना है
एक बार समर जीता है हमने
अब इतिहास वही दोहराना है
नीले अम्बर में फिर से
झंडा नीला वो फहराना है ...

कि अंतिम पड़ाव सफर का है
और मंजिल भी अब पास है
आगाज़ किया था , अंजाम दिखा दे
बस इतनी सी एक आस है ...

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14 OCT 2021 AT 9:38

In the darkest of my nights , they were brightest of the stars

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6 OCT 2021 AT 17:45

"अरे यूं होकर उदास क्यूं बैठ गया
क्या यहीं तेरी पहचान है
लो पूछ लिया अब मैंने भी
बस यहीं तेरी उड़ान है ... "
:- एक परिंदा

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1 OCT 2021 AT 16:50

मंजिल मिलेगी , भटक कर ही सही
गुमराह तो वो हैं ... जो घर से निकले ही नहीं ।

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5 SEP 2021 AT 7:28

खुमार कुछ इस कदर छाया है कि
दिनकर को दीप दिखा रहा हूँ
जिसकी खुद ही लिखावट हूँ मैं
अब उसी पे लिखने जा रहा हूँ ।

नन्ही कलियों से आज खिलता फूल बनाया है
गुलाब तो दूर , काँटों को भी महकाया है
लफ्ज़ भी कम पड़ जाए तारीफों का समाँ बांधने में
अरे आपने तो रेगिस्तान में भी दरिया बहाया है ।

कभी हँसा के दर्द भुलवाया है
तो कभी अश्क़ों से नहलाया है
कभी फूलों की बरसात करवाई
तो कभी अंगारों पे चलवाया है
कैसे न करूँ मैं गुणगान उनका
जिनकी दुआओं ने हर मुश्किल पार कराया है ।

क्यूँ पूजूं मैं उन पत्थरों को जब
मेरा मौला जमीं पे आया है
राम , अल्लाह और जीसस को मैंने
आपके भीतर ही तो पाया है ।

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