25 DEC 2017 AT 2:02

वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे,जो इश्क़ को काम समझते थे,
या काम से आशिक़ी करते थे,
हम जीते जी मशरूफ़ रहे,
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया,
कभी इश्क़ काम के आड़े आता रहा,
कभी काम इश्क़ में उलझता रहा,
आख़िर में तंग आकर,हमने दोनो को अधूरा छोड़ दिया,
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया!

-फ़ैज़ एहमद फ़ैज़

जीने के लिए इस क़ायनात में,
काम को अंजाम देना है बहुत जरूरी...
नही तो हायत को घुट घुट के जीना होगा,
कुछ इसी तरह ग़र इश्क़ को जो छोड़ दे अधूरा बीच में,
उससे बड़ा पापी कोई नही है जग में,
और ख़ुदा बचाए सभी को ऐसे पापी रूह से!

- Farzi_GulzaR