कुछ तुम कह लो, कुछ हम कह लेते है,
चलो आज इस रिश्ते को यही खत्म कर लेते है,
जन्मों का रिश्ता न सही शायद ये इस उम्र का रिश्ता था,
दोस्तो में बैठा जब सुनाने तो सबने कहा किस्सा अच्छा था,
शुरुआत तुम्हारे बालों से करता, और खत्म तुम्हारे होटों पर,
वाह उठती मेरे शेरों पर और आह हमारे रिश्तों पर,
कानों के पीछे बाल लगाके जब तुम कुछ बतलाती थी,
शर्मीली मुस्कान तुम्हारी, दिल पे लग जाती थी,
शायद अब ये किस्से और कहानियां ही साथ जाएंगी,
अब आगे पूरे जीवन भर तस्वीरे ही साथ निभाएंगी...-
क्या लिखूँ अपने बारे फिर वही चार बात होगी,
जान लेना तुम ... read more
वो इश्क की चर्चाओं से अब इत्तेफाक नहीं रखती,
मोहब्बत तो करती है पर इज़हार नहीं करती...
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किसी को वादियां बुलाती है,
तो किसी को पहाड़ पुकारते है,
हम संगम मे डुबकी लगा के ही,
परमधाम पा जाते है ।।-
क्या पता था कि अर्सो बाद जो मिलेंगे महबूब से,
वो हमसे यूँ ही नावाक़िफ़ हो जाएंगे ...-
तुम पहाड़ो पे घूम के आना तो मेरे लिए बर्फ लेते आना,
पड़ा है जो मेरे पास वो समंदर का खारापन लेते जाना,
मेरे लिए मुट्ठी भर बर्फ लेते आना, मलूँगा उन्हें घावों पे जो समंदर ने दिए है,
मीठे जल की आस में मैंने नमक के घूँट पिये है,
जब आना तो पहाड़ो का सुकून ले आना, मेरे लिए थोड़ी बर्फ लेते आना...-
कभी किसी के इंतेज़ार में भी,
खुशिया बेहिसाब मिलती है,
उसके होने के एहसास भर से,
आपको साँस मिलती है ...-
हसीं ज़िन्दगी से दिन ब दिन खफा होती जा रही है
ज़िन्दगी ठहरी है और उम्र बढ़ती जा रही है...-
में यहाँ वहाँ भटकता रहा आसमाँ की तलाश में,
जो ज़मी से रूबरू हुआ आसमाँ की आस छूट गयी ।।-
इश्क पूरा नही हुआ फिर ये गुरूर कैसा है,
मयकदो ने बैठा और शराब नही पी तो सुरूर कैसा है...-
कबहुँ देखत नीर गगन मा, कबहुँ देखत सारी रैन,
नैन तरस गए दरसन खातिर कब आये गो चैन ।।-