Ayush Arya   (Dr A. Arya)
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Ignoring success till it menifests in my own way.

Insta ;dr_ayush_kr_chaudhary
Joined 18 October 2019


Ignoring success till it menifests in my own way.

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Joined 18 October 2019
13 FEB AT 17:56

कौड़ियों के भाव बिक जाता जो कभी, तेरे ख़ातिर!
अब उसने खुद अपना कीमत बदल दिया।
बदलते लहजों ने तेरे,उसे कुछ यूं बदल दिया,
मानो बैठकर उसने,खुद अपना कतल किया।।

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31 JAN AT 0:15

यूं ही नहीं पूजने लगा पत्थरों को आशिक
इश्क़ के किस्सों में अब वो रवानी नहीं है ।

चल रहा तकाज़ा इस दौर का कुछ ऐसा
बस अब आशिक़ी की वो कहानी नहीं है।

मैंने तान ही दी थी पिस्तौल उसके ख़ातिर,फिर
जाना उसके पास प्यार की एक भी निशानी नहीं है ।।

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28 JAN AT 9:28

देखा उसने यूं हिकारत से जो उसे
लगा ही कि उसका नज़रिया बदल गया
छूकर एक बूंद विजय की ,जो उसका लहज़ा बदल गया
भ्रम था दरिया का कि समंदर के पहले दरिया बदल गया।।

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25 JAN AT 23:15

गर जो तुम साथ होते , ख्वाहिशों के आस-पास होते।
ना तो पांव के छाले होते ,ना हीं लबों पे ताले होते।।

ये तो रहमत है उसकी, जो अपने हिस्से विरानियां ही हैं। वगरना
हमने भी कहाॅं आपने राहों के कांटे,खुद के हुनर से निकले होते।।

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16 NOV 2024 AT 8:24

छूकर एक बूंद विजय की,जो उसका लहज़ा बदल गया।
भ्रम था दरिया का कि समंदर के पहले दरिया बदल गया ।।

... To be continued



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12 NOV 2024 AT 5:13

इक रोज़ पूछा बहन ने मेरी मुझसे,कि
आया कहां से,ये आशिक़ी का तजुर्बा हमारा ।

अब क्या बताऊं उसको कि काफी नहीं था,
सिर्फ शायरों के बीच उठना-बैठना हमारा।

मर जाते हैं लोग, इश्क़ में जिस मोड़ पर
हमने जोड़ा है वहां से भी रास्ता हमारा।।

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13 AUG 2024 AT 11:32

मेरे किरदार की पेचें कुछ यूं ऊलझ गई कि
सोचता हूं एक रोज़ नुक्कड़ से ले आऊं सिगरेट,

पीयूं ना पीयूं कम से कम जलाऊं सिगरेट

सोच कर उसको,अपने होठों से लगाऊं सिगरेट
इक बार उसका दीदार करूं,फिर बुझाऊं सिगरेट।।

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4 AUG 2024 AT 20:34

कुछ ख़्वाहिशें यूं भी अधूरी रह गईं,
गर जो चाहता तो शायद लिख देता -

उसके नाम की लकीरें अपनी किस्मत में

पर न जाने दिल किस मुफलिसी से डरा,
कि एक बस मुस्तकबिल ही जरूरी रह गई ।

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17 MAY 2024 AT 16:32

ख्वाबों के बाज़ार में,ख़ुद को खोजते-खोजते
ख़ुद ही को,खो दिया था उसने।

देखकर इक रोज़ खाब में उसको
फिर इस बार रो दिया था उसने।

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6 APR 2024 AT 21:53

जिंदगी में कुछ नहीं कर पाया तो ग़ैरत मार डालेगी
ग़ैरत से बच गया तो बचने की हैरत मार डालेगी।

मुझे किसी बात पर रुलाओ कि मेरा दम घुट रहा है
मुझे ये हर बात पे मुस्कुराने की आदत मार डालेगी।।

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