उठ संघर्ष कर - विश्राम का तेरे पास क्षण नहीं ,
तेरा आज तुझसे है - तेरे बस में कल नहीं ,
उठ संघर्ष कर - विश्राम का तेरे पास क्षण नहीं ।
बीते हुए कल को अपना आज ना कर ,
आज को यू नाराज ना कर ,
आज अभी है क्षण तेरा,
यू वक्त गवा कर - साझ ना कर ।
समस्याओं को सोच चिंतित होने से - समस्याएं होती हल नहीं ,
जो परिस्थितियों से विचलित ना हो - होती विजई प्रण वही ,
उठ संघर्ष कर - विश्राम का तेरे पास क्षण नहीं ।-
YouR probability to succeed depends on how you APPROACH a problem ,
A looser approach can never have positive results.
⚔️🇮🇳⚔️-
ख्वाब उड़ रहे पलकों से- यह दुनिया स्वप्न बेचने लगा है,
लाश बिछ रहे सड़कों पे - यह दुनिया कफन बेचने लगा है ।-
आज यह जिंदगी हमें अधूरी लगने लगी है -
ना जाने किस अधूरी ख्वाब को तलाश रही है पलके,
ना जाने किस धरा की ओर मैं बह रहा हूं हल्के हल्के ,
कोई आकर्षण सा है जो मुझे अपनी और बुला रहा है - या सिर्फ एक भ्रम जो मेरा मार्ग भूला रहा है,
कुछ कर गुजरने की चाह दिल मे लिए - मैं खींचा जा रहा हूं उसकी ओर,
बचा लेना है उस तूफान से उड़ती पतंग को - इससे पहले कि टूटे उसकी डोर,
आ रही है चीखें रोने की हर ओर से इस देश में - क्या आप भी सुन पा रहे हैं यह बिलखते हुए शोर ?-
Depression & Me
The lone warrior seldom survives a battle,
The enemy is more profounD than it sounDs - in battle where there's no one arounD,
Blaming circumstances and others won't heLP ,
Damage has been done by the victim itseLF,
Inner demoN vs mE - the battle begins
Fallen but not yet broken,
Searching for glimpse of light in life's darK tunneL,
Have a long battle to be fought before the mortal funeraL,
The lone warrior....-
रावण राम से हारा ना होता ,
अगर राम को विभीषण का सहारा ना होता ,
जीत जाता हर जंग अकेला ,
अगर अपनों के षड्यंत्र ने मारा ना होता ।-
What you see is - how much I'm being paid ,
What you don't is the struggle i madE ,
What you see is the height i reached,
What you don't is - my patience and waiT.
You're quick enough to claim it a faTE
I understand your HatE
Keeping jealously aside - work instead,
By cursing other for being rich - there's nothing you'll geT
Work insteaD
My friends - work insteaD-
कुछ यादें - कुछ बातें ,
है अंधेरों में डूबी हालाते ,
बेवक्त हवाओं के झोंकों से - खिलते फूल यहां मुरझाते ,
मन सोच रहा "क्या खोया - क्या पाया" जग में आते जाते ,
तेरे नाम के सजदे में करते लोग यहां खिलवाड़ ,
यहां अपनों ने अपनों को लूटा - गैरों से क्या करेंगे प्यार ,
दुनिया को तूने क्यों बनाई - जब भूल गया तो यह संसार ।-
अनजान चेहरे में राहत सा ढूंढता है दिल ,
गैरों की खुशी में मुस्कुराहट सा ढूंढता है दिल ,
इस कदर अकेली हो गयी है सफर ,
सुनसान राहों में - अपनों की आहट सा ढूंढता है दिल ।-
मन तो था ही नहीं - शहर की
इस शोर-शराबे में रहने का ,
मजबूरियां लोगों को इस भीड़ की गर्दिश बना देती है ।-