Ayaan Solanki   (Sandeep solanki)
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वो जो कहानी में अच्छा किरदार निभाते है
दरअसल हक़ीक़त में वो साथ छोड़ जाते है
Joined 8 April 2019


वो जो कहानी में अच्छा किरदार निभाते है
दरअसल हक़ीक़त में वो साथ छोड़ जाते है
Joined 8 April 2019
27 JAN 2022 AT 20:48

रोज मिलता है यूँही कसमेँ खाने वाला झूठी
सच्ची है कहकर हर बात बताने वाला झूठी
रोता है यकीं करले कोई इकदफा लेकिन
बाद हँसता है वो आँखे बहाने वाला झूठी
तन्हाई में ख़ुदा से वो उम्र लंबी चाहता है
सामने तुम्हारे मौत अपनी चाहने वाला झूठी
दिल के जख्मों को कुरेदता आहिस्ता आहिस्ता
नाजुक हाथों से मरहम लगाने वाला झूठी
बड़ी शान ओ शौकत में रहता है दिन भर
रोज रात मुफ़्लिशि दिखाने वाला झुठी
सारा इश्क़ अपना गैर के हिस्से लुटाता है
बड़ी सिद्दत से चाहतें निभाने वाला झूठी
तुम्हें बर्बाद करने पीठ पीछे चाल चलता है
एक प्यादे से तुमसे मात खाने वाला झूठी
हुई मालूम क़ीमत इश्क़ की "संदीप" जमाने से
होता कंगाल ये दौलत कमाने वाला झूठी— % &

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9 AUG 2021 AT 2:10

तेरे बाद हमने भी दरबदर भटकना छोड़ दिया
जो ख़ौफ़नाक थी गलियां उनसे गुजरना छोड़ दिया
करीबियत तेरी रूह को सुकूँ देती थी उदासी में
हालात ए हयात मैंने भी उदास रहना छोड़ दिया
रुख़्सती पर तेरी दिल बच्चों सा रोया सनम मेरा
बाद उसके फिर मेरे दिल ने भी रोना छोड़ दिया
जो नाम रटता था सनम हजारो बार तेरा दिन में
जहर सा नाम मुँह ने भी अब वो रटना छोड़ दिया
मुझे कहते है मेरे यार की तू इश्क़ पे ग़ज़लें लिख
कलम की स्याह ने मेरी फरमान वो गढ़ना छोड़ दिया
वस्ल और हिज्र के किस्से बफुरसत कहूंगा फिर कभी
फिलहाल तो संदीप ने मोहब्बत कहना छोड़ दिया
संदीप सोलंकी

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10 MAY 2021 AT 10:18

कोरोना के काल चक्र में जग सारा डामाडोल हुआ
भूधरा के कण कण में मृत्यु तांडव घनघोर हुआ
वृक्ष पत्तियां भी निरंतर विष वर्षा बरसा रही
प्राण वायु के शील वक्ष पे अंधड़ का हावी शोर हुआ
चंहु दिशाएं त्राहि त्राहि के क्रंदन से गुंजायमान रही
शमशानो की पुण्य भूमि पे शव से शव सराभोर हुआ
प्रलयकाल से पहले यम अपना कहर बरपाते दिखे
सांझ समय मे ग्रह चोखट ,चिता काठ पे भौर हुआ
वैज्ञानिकों के ज्ञान तरकश भी खाली के खाली रहे
मस्तिक्ष रूपी धनुष में ना इस अस्त्र का तोड़ हुआ
सकल विश्व के राजाओं की स्मृति विलुप्त होती दिखी
अज्ञानता पर विज्ञान के ना ज्ञान विस्फोट हुआ

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27 MAR 2021 AT 13:11

दिल जीत नही सकते जो तथ्य वो सारे तथ्य व्यर्थ है
जिनके मुख में राम बगल में छुरी मानव नही दैत्य है
आँसू को मुस्कान में बदलो हिंसा का परित्याग करो
अन्त समय मे कंधो पर बस श्री राम नाम सत्य है।

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13 MAR 2021 AT 22:58

दरख्तों के तले मैं बैठ कर दिन काट लेता हूं
हवाओँ संग मैं बहकर सात सुरो का साज लेता हूं
मगर नासूर दिल के,रात में तकलीफ कभी जो दे
सितारों को बुलाकर दर्द दिल का बांट लेता हूँ
संदीप सोलंकी

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13 MAR 2021 AT 22:53

मैं हाथों से फिशलता मखमली रुमाल हो जाता हूँ
आँखों से गिरते आँसुओ का एक सवाल हो जाता हूँ
मेरी जान ,तुम हाल पूछने की तक्कलूफ ना किया करो
उस कैसे हो को सुनकर मैं ,बद ए बेहाल हो जाता हूँ।
संदीप सोलंकी

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13 MAR 2021 AT 22:38

अफसाना सुनो बर्बाद दिल की धड़कनों का तुम
दास्ताँ गर समझ जाओ तो आँखों अश्क़ ले लाना
मेरे लफ्जो में माजी के हसीं किस्से जो दिख जाए
कांरवा बनके मेरा पीड अपनी संग
ले आना
आफ़ताबी ,महताबी,और चाहे आसमाँ कहना
खुदा के वास्ते लेकिन कभी तुम
पिघल ना जाना
इश्क़ एक ख्वाब से ज्यादा नही वो एक दिन टूट जाता है
जरा इम्तिनानं रखना नींद मैं तुम बहक ना जाना
संदीप सोलंकी

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11 MAR 2021 AT 23:18

जट गंग विराजत,गल मुंड माल धारत, मस्तक चन्द्र सजाये है
कर पान हलाहल,कर देव निवारण,नीलकंठ कहलाये है
सिंह चर्म के आसन, कर शक्ति संग शासन ,कैलाश धाम बनाये है
भौर भृकुट, विकराल रूप वो महादेव प्रभु आये है!!
कर त्रिशूल धारे, नंदी पांव पंखारे ,डम डम डमरू बजाए है
शमशान निवासे, म्रत्यु हरियता क्रोधित हो तांडव लाये है
बेल पत्र प्रशन्ना,त्रिनेत्रों ,भोले सर्व जगत नचाये है
भौर भृकुट विकराल रूप वो महादेव प्रभु आये है।।
,भूत जिनको ध्याये , तन भस्म रमाये, भूतनाथ बन जाये है
देवों में उत्तम, अनादि अनंतं ,अखंड शिवाये कहाये है
रामा आराध्य, सागर कर बाध्य,सेतु रामेश्वर कहाये है।
भौर भृकुट विकराल रूप वो महादेव प्रभु आये है।।2।।

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23 FEB 2021 AT 13:33

अमानत को कयामत तक कलेजे लगाए रखूंगा तेरी
ख़ुशबू को बदन से हमेशा चिपकाये रखूंगा तेरी
धड़कन रुकेगी,मौत आएगी,मिट्टी हो जाऊंगा मैं मगर
याद को शमशान तक, दिल मे बसाये रखूंगा तेरी
संदीप सोलंकी

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22 FEB 2021 AT 16:52

परवरदिगार दर्द ए दिल को थोड़ा सा आराम दे
मौला मेरे, मेरे महबूब को ,तू मोह्हबत का इनाम दे
प्यास लगी है धड़कनो को कोई पिलाने वाला नही खैर
मालिक मेरे मुझे थोड़ा तू तो झलकता जाम दे
उसके हक़ की सारी खुशियां उसको अता करना
मुझे चाहे फकीरी का खुशनुमा अंजाम दे
मेरी जान को खुदा मेरे तू बिगड़ा हाल ना बता मेरा
हूर की परी को खुदा तू जन्नत ए गुलफाम दे।
संदीप सोलंकी

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