Awanish Singh   (Awanish singh {Awi})
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बिखरा हु खुद को समेट रहा हु
हो सके तो थोड़ा हाथ लगा दो
Joined 11 November 2018


बिखरा हु खुद को समेट रहा हु
हो सके तो थोड़ा हाथ लगा दो
Joined 11 November 2018
6 FEB 2022 AT 0:55

जिनको हमने होठों से लगाया उन्हीं ने हमें पैरों तले दबाया कमबख्त प्यार भी क्या चीज है। जिन पर हमने अपना जीवन लुटाया ।।
वही बर्बादी का रास्ता दिखाया।।

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5 FEB 2022 AT 21:24

ठिकाना हर शहर में है।
पर ठहराव कही नही है।।

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16 JAN 2022 AT 19:55

नए जख्मों की तलाश में हैं।
पुराने तो हर याद में हैं।।

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14 JAN 2022 AT 22:39

एक ही लाइन तो बना पाते हैं।
इसीलिए हम शायर नहीं कहलाते हैं।।

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14 JAN 2022 AT 22:07

जब दिल की बात किसी को बता नहीं पाते हैं
तो उसे हम पन्नों में दफना देते हैं

कुछ टूटे हुए आशिक इसे सत्य मानकर अपना लेते हैं

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31 DEC 2021 AT 15:52

हर किसी एक कहानी है
जो सब को बतानी है
और
सब की एक कहानी है
जो हर किसी से छुपानी है।
............शायद इसी का नाम जिंदगानी है

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31 DEC 2021 AT 15:31

तेरी कहानी में मेरा किरदार क्या है
ये बस तू जानता हैं।
मेरी कहानी में तेरा किरदार ।
हर कोई जानता है

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31 DEC 2021 AT 15:27

हम लड़के है। जनाब
अपनो की जिमेदारिया आते ही ।
हम अपने सपने भूल जाते जाते है

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31 DEC 2021 AT 6:10

जिन्दगी तू किस मोड़ पे लाई है।
ना दिन की रोशी से मुलाकात है ।।
ना रात की चांदनी से

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3 MAY 2021 AT 2:11

अच्छा ये बताओ जितना तुम परेशान हो वाकई तुम उतने ही परेशान हो ?
या यूंही परेशान हो

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