Avnish Singh   (अवनीश)
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Joined 20 June 2017


Joined 20 June 2017
19 MAY 2020 AT 20:04

महीनों के तालाबंदी के बाद
मेरा एक सवाल है ,जो पुरा भुगोल बदलता है

तुम ढलता सूरज देखने छत पे आती हो या
तुम्हे देखने चांद निकलता है

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18 MAR 2020 AT 21:29

तुम्हे हम,तुम्हारे होने का एहसास कैसे दिलाते
साथ बोझिल है अपना ,नहीं कटेगा हंसते हंसाते

मेरे चुप चाप होने से नाराजगी है तुम्हे
कहने पे आते तो पता नहीं ,क्या क्या कह जाते

और क्या जवाब देता तुम्हारे "और बताओ"का
की खुद को भुला बैठे हैं,तुम्हे भुलाते भुलाते

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10 AUG 2019 AT 1:20

जहां ठहरा वहाँ सुकून सा था
हां वो ना थी,जिसका जुनून सा था

दिल मे थे कई अनमोल जज्बात
और होंठो पे,मुस्कुराहट का पहरा

मंजिल न थी जहाँ वहीं जा के पैर ठहरा

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24 JUL 2019 AT 15:28

बेपरवाह रातों में जो बेखुदी का आलम है
क्या कहूँ तुम्हे,क्यों कहूं तुम्हे
की तुम्हारी यादों में बढ़ी हुई जो धड़कन है
क्या कहूं तुम्हे,क्यों कहूँ तुम्हे

एक अजीब बीमारी है,लम्हा लम्हा भारी है
खुद के पहेली सुलझाने को रोज नयी तैयारी है
रोज ही मैं उलझता हूँ, यादों से मैं लड़ता हूँ
कभी जो तुम सबसे हसीन थी
सच अब मैं तुमसे डरता हूँ

अरे मैं हाल दिल के उलझन का
क्या कहूँ तुम्हे ,क्यों कहूँ तुम्हे

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25 MAY 2019 AT 9:21

सुबह का समय था और हम दूध की थैली लेने दुकान गए थे।
आज जनादेश यानी चुनाव के गिनती का दिन था।
रास्ते मे चाय की दुकान पे हमे दो मित्र बहस करते दिखाई दिए तो हम रुक गए।
उनमे से एक तो अखंड मोदी भक्त और दूसरा घोर कोंग्रेसी और दोनों में जम के बहस चल रही थी मानो ऐसा की जो इस डिबेट में जीत जाता वो सरकार बना लेता।
एक तो हम से पूछ दिए कि और अवनीश भाई आप किस के साथ हैं तो हम भी तपाक से बोल पड़े की हम तो देश के साथ हैं ।
हमारा जवाब सुन दोनो अवाक हो गए और दोनो मुस्कुराने लगे उन दोनों को लगा हम उन्ही की पार्टी के साथ है।
और हमको लगा कि हम सीधा बोल देते तो एक मित्र खो देते ।जात,धर्म,भासा,छेत्र से उठकर हमने यारी की उसे पार्टी के नाम पे टूटने कैसे देते।
आप भी ध्यान रखें और रिस्ते बनाये रखे।
अच्छा मतदाता बने।
बात बात पे कार्यकर्ता या पर्वकता ना बने।
देशहित में काम करे।

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13 MAR 2019 AT 1:48

वफाये उसकी हसीन थी
क्यों डरता मैं बेवफाई से

जो सपनो में भी साथ थी
अब दूर हुँ उसकी परछाई से

महफिलें मासूक थी मेरी
अब मोहोब्बत है मुझे तन्हाई से

और मैं झूठ को ओढ़ मुस्कुराते रहूंगा
डर लगता है सच्चाई से..

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11 MAR 2019 AT 18:20

ये बातें बचकानी है
पर तुम्हारी नींद उड़ाने के लिए काफी है
इशारों इशारों में,शायरी के बहाने से
तेरे मेरे दरमियां जो इश्क़ है
उसका एहसास दिलाने के लिए काफी है

मैं आवारा,बेचारा,नासमझ जरूर हूँ
पर मैं तुम्हारी फिक्र करने लगा हूँ
मैं बातो बातो में अपने हर किस्सों में
घुम घुमा के तेरा जिक्र करने लगा हूँ
मैं तुम्हारी फिक्र करने लगा हूँ

तेरे संग अपनी तन्हाई बांटने लगा हूँ
तुमसे मिलने के बहाने छांटने लगा हूँ
मैं रफ्ता रफ्ता,थोड़ा थोड़ा तेरा होने लगा हूँ
तुम भी गौर करो
मैं तुम्हारी दिल की धड़कन..
सांसो की गर्मी..
आंखों में चमक..
होंठो पे मुस्कान..
और तुम्हारी काया का इत्र बन ने लगा हूँ
क्योंकि मैं तुम्हारी फिक्र करने लगा हूँ।

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8 MAR 2019 AT 14:24

दोस्त, दुआ और दुलार..

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5 MAR 2019 AT 14:19

मोहोब्बत का मैं मारा हूँ
चाहत ने भी कह के ली
मगर क्यों कोसूं दोनो को
दोष खुद का भी कम नही

लगा जो आग जुनूँ में है
मैं घर को लौट आया हूँ
कुछ रिस्तो से दूरी रख
कुछ को छोड़ आया हुँ

समय आया निखरने का
दिखाना है अब कुछ कर के
धधकती हो तुम सीने में मेरी शायरी बन के

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5 MAR 2019 AT 13:58

तेरी यादें मिटा दूंगा
हर एक तस्वीर जला दूंगा
मैं अपने दिल के कमरे में अब ताला लगा दूंगा।

फिर भी गर याद आओगी
मुझे फिर भी सताओगी
तो लिखूंगा तेरी बातें
तेरी सुबह तेरी रातें
मेरे कंधे पे तेरा सर
जिसे कहती तुम अपना घर
मैं तूझमे ही कही था गुम
जैसे मेरा पता थी तुम
मेरा लम्हा तेरा होना
तेरे हँसने पे खो जाना

तेरी खुबसुरती का मेरे हाल से
अंदाजा लग जाना
मेरे अल्फाज का,मेरे राज़ का
तेरा साज बन जाना।

न जाने क्या क्या लिख दूंगा
हाय दीवानगी कर के
धधकती हो तुम सीने में
मेरी शायरी बन के...

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