मुझे लगा बहुत वक्त हैं, लेकिन वक्त कभी था ही नहीं
मुझे घुमना भी था, मुझे थमना भी था
मुझे गिरना भी था, मुझे उठना भी था
मुझे लडना भी था, मुझे प्यार भी करना था
मुझे रोना भी था ,मुझे हँसना भी था।
मुझे लगा बहुत वक्त हैं, लेकिन वक्त कभी था ही नहीं
मुझे हवा के तरह बेफिक्र उडना भी था
पहाड़ो में चढ के चिल्लाना भी था
बारिश में खुद को भीगाना भी था
नदियों की तरह बस बह जाना था
मुझे लगा बहुत वक्त हैं, लेकिन वक्त कभी था ही नहीं
माँ-बाप को गले भी लगाना था
भाई-बहनों को प्यार भी जताना भी था
दोस्तों के साथ घूमना भी था
किसी का हाथ पकड़ के उम्र भर चलना भी था
मुझे लगा बहुत वक्त हैं ,लेकिन वक्त कभी था ही नहीं ।
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