मन में एक ख़याल आया है
लिखने की आदत ही तो ज़िंदगी है-
कुछ खूबसूरत किस्से मेरे ब्लॉग पर अपने शब्दों में
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कभी याद बनकर
गुज़रना तुम
मेरे ख़यालों से
और दे जाना
फिर
एक छोटी सी
मुलाकात
जिसे एक याद की तरह
मैं संभालकर रखूंगा-
कभी इन बहती
हवाओं से
उनका भी नाता था
जो आज एक
हवा बनकर गुज़र गयीं
हम एक दूसरे से
अंजान थे मगर
उनकी दरियादिली
मुझ पर घाव
करके चली गई-
यूँ लगा अभी
की कुछ पल
पहले ही तो
जो हो रहा है
उसे महसूस किया था
कितना अजीब है
दोहराती हुई
ज़िन्दगी
अब फिरसे कुछ
समझाने आई है
जैसे पहले कुछ
कहा ही नहीं था।-
लेकिन इतना भी कम है
हर रोज़ ज़िन्दगी
शख्सियत को
थोड़ा और बदलती है
इसलिए किसी को
जानने में
एक ज़िन्दगी गुज़र जाती है-
एक सुबह
उसकी शाम से मुलाक़ात हुई
ठहरी और बेहद खामोश सी
कुछ देर तक,
मुझे अंदर से बेचैन करती हुई
उसे रोकने के लिये
आवाज़ देकर,
और जो आवाज़ दी
तो खामोशी नहीं थी
बारिश की बूंदों ने
उस खूबसूरत शाम को
अलविदा कहा
जो बरसों के बाद
मुझसे सुबह मिलने आई थी-
हो सके
तो शब्दों से परे होकर
जज़्बातों को समझो
शायद महसूस कर पाओ
उन्हें
जिन्हें सिर्फ 'शब्द' कहना
लाज़मी न हो-
कभी लगता है
कि पूछ लेना चाहिए
उसकी खैरो-ख़बर
शायद बेचैनी मिट जाए
इस दिल की,
जो उसकी परवाह में
मेरी परवाह नहीं करता-