Aviral Pandey  
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Joined 19 December 2017


Joined 19 December 2017
10 APR AT 0:46

जिंदगी बँट गयी बहुत से किरदारों में मेरी ,
उन किरदारों को निभा रहा हूँ मैं ,
कभी हुआ करता था एक सघन वन हृदय में मेरे
आज सब कुछ बंजर सा है ,
जब पाने की कुछ ललक थी मेरी , शौक थे मेरे, अल्हड़्पन-आवरागी थी , तब हुई न बारिश , सूखा था सब कुछ ,जब प्यास से मर गया मन मेरा , अब मेरे मरे मन पर बरसा है सावन , जिसका कोई अर्थ नहीं ,
उन्मुक्त था मेरा जो मन कभी वो कब अब मुक़्त होगा पता नहीं ,
मिलता क्या है किसी को पता नहीं ,
आज जो है उसकी चिंता हमने कल की थी ,
कल जो होगा उसकी चिंता आज है ,
होने न होने , पाने न पाने , मिलने न मिलने
में खो गया मेरा जीवन ,
मुझको क्या हासिल हुआ पता नहीं ।।




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13 DEC 2024 AT 12:32

अपमानों के घूँट पिये है ,
स्वाभिमान हुआ है चकनाचूर ,
बेइज्जती भी मुस्कुरा के सही ,
भीतर तभी एक ज्वाला जली,
उसी ज्वाला की अग्नि ने ,
एक ताप दिया इस जीवन को ,
उसी ताप की ऊर्जा से उत्थान हुआ इस जीवन का ,
विपदाओं का आलिंगन किया है ,
टूटें बहुत , रोए बहुत है ,सहा बहुत,
न सह पाते तो कैसे बढ़ पाते ,
मरना भी चाहा ,पर मर मर के जीते रहे,
मर जाते तो कैसे कुछ कर पाते,
ज़िम्मेदारी निभाई सदा ,
वज्र सा सीना किया ,
झेले सबके तीर ,
कमी का रोना रोया नहीं ,
मिला जो उसे बेहतर करते चले गये,
इस जीवनपथ में वीर वही है जो लड़ता है विपदाओं से,
जो-जो बने हैं ,इन संघर्षों की देन है,
भाग जाते यदि इन सब से ,
न आती कठिनाइयाँ जीवन में ,
तो कैसे सोने सा निखर पाते ,
जो तपता है बनके स्वर्ण एक दिन चमकता है ।।
चमको कभी यदि इस जीवन में ,
औक़ात को सदा याद रखना ,
विनम्र रहना सदा ,
अहंकार का त्याग करना ,
बनो काबिल तो देना भी न भूलना कभी,
माँगे मदद कोई तो ,साथ खड़े रहना भी न भूलना कभी,
यह शरीर एक दिन मिट्टी में ही मिल जाता है ।।
प्रकृति में विलीन हो जाता है ।।
निस्वार्थ भाव से देना मिट्टी (प्रकृति)का मूल तत्व है ,
मिट्टी से ही अन्न है , वृक्ष है , वृक्ष से वायु है ,
जल है , तभी जीवन है ।।
इंसानों को कभी अपने मूल तत्व को नहीं भूलना चाहिए।।
तभी वह सही मायनों में सफल बन सकता है ।।

~ अविरल पाण्डेय

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11 MAR 2022 AT 22:26

कहाँ खोए रहते हो अपने दर्द को छुपा के भीतर आजकल ,
महफ़िल में रहकर भी खोए रहते हो।।
इतनी गुमशुमी भी ठीक नही, वरना कइयों को इस नाबायाँनी ने निगल लिया ।।

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20 FEB 2022 AT 23:47

जीवन में सब है अधूरे ,
अधूरेपन को स्वीकार जियो,
पूर्ण हुआ न कोई ,
न कोई होगा सत्य है, स्वीकार करो ।।

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9 FEB 2022 AT 1:16

छोटे होते है जो लोग अपने को बहुत बड़ा दिखलाते है,
बड़े व्यक्ति तो सदा खुशी-खुशी झुक जाते है ।।

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3 DEC 2021 AT 22:27

खामोश हूँ तो खामोश रहने दो मुझे अपनी खामोशी पसंद है,
लोग करते है इश्क़ नाटक से ,जो हमें बिल्कुल नापसंद है।।

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23 SEP 2021 AT 0:11

खुशियाँ सदा बांटी है हमनें
दर्द को जी भर पिया ,
मुस्कान सदा रखी अधरों पर ,
भीतर भीतर निज तम से लड़ा ।।

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21 SEP 2021 AT 0:37

झूठ का नशा देकर नफरत का कारोबार हो रहा है यहाँ और तुम्हे लगता है विकास हो रहा है यहाँ

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25 AUG 2021 AT 0:35

माना,कितनी ख़ूबसूरती बिखरी है वादियों में पर परवाह कौन करे,
जो एक बार समा गया हृदय में उसका मुकाबला कौन करे।।

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16 JUL 2021 AT 23:41

माँग कर जो मिले वो मोहब्बत नही ,
मिल गयी भी तो क्या उसकी कीमत नही,
माँग पैदा हुई प्रेम मृत हो गया
शव को उसके ढोने से क्या फायदा,
प्रेमी वो चीज़ है जो न माँगे कभी ,
लुटा कर के भी सब मुस्कुराता रहे,
न मांगे कभी प्रेम के बदले कुछ,
बस लूटाता रहे बस लूटाता रहे ,
जिस क्षण समझ लोगे इस प्रेम को
बस लूटाते रहोगे बिना चाह के,
चाह जिस क्षण मरी प्रेम उस पल मिला तुम भी प्रेमी बने राधिका की तरह ।।

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