ना उससे मुझे गुलाब दिया गया,,
ना मुझसे उसके बिगड़े ज़ुल्फ संवारे गए,,
इश्क़ में हम दोनों ही शर्मीले निकले।❤️-
हमदर्द कलम हैं मेरी, मोहब्बत अल्फ़ाज़ है।
तुम दूर तो थी हम से फिर भी हम पास समझने लग गए ,
तुम्हारी नज़रों में यू गुम हुए के दुनिया के नज़रों में ही हम गिरने लग गए 😌❤️-
शीशे के मुकद्दर पर घमंड बहुत था उन्हें,
वक्त ने भी दस्तक दी थी हाथ में पत्थर थाम कर। 🍂-
लाख झूठी कसमें झूठे मूठे इरादे
एक बिस्तर तक जाने के लिए जाने कितने वादे-
अच्छी सूरत को सवरने की ज़रूरत क्या है,
सादगी में भी क़यामत की अदा होती है..❤️-
अब वो मेरे सामने खड़ी है तो अनजान लगती हैं,
पहले जिसके कदमों की आहट तक को पहचान लेता था मैं।-
फिरे हसरतों का जनाज़ा उठाए,
है मालूम हमको तुम्हारी हकीकत,
मुहब्बत के परदे में करते हो नफ़रत...-
क्यों खुद को ही नहीं जान पा रहा हूं.
क्या हूं इतना मसरूफ, के चैन की सांस भी नहीं ले पा रहा हूं...
कि अपनी ही नकल करने में मात खा रहा हूं..
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वो राधे कृष्ण के प्रेम सी बातें कर रही है,
जो हर रोज़ एक नये चेहरे पर मर रही है।-