यूँ तो मैं उससे अनजान हूँ
पर दिल की बात करूँ,
तो वो मेरे दिल की पहचान है
और जिन आँखों पर मैं हुँ फ़िदा
न जाने उन आँखों में कितने राज़ है
उसके अल्फाज़ों का मैं मोहताज हुँ
कभी कभी लगता है,
वो किसी सरगम की मीठी आवाज़ है
चंचलता ने उसकी अलग आतंक मचाया है
कई गानों को सुनकर ऐसा लगता है,
की जैसे उन लब्जो में उसे ही दर्शाया है
रिश्ता मेरा उससे क्या है,
ये तो मुझे भी नहीं समझ आया है
दोस्ती है या उससे बढकर,
इसी धुविधा में सर चकराया है
पर जो भी हो,
वो मेरे लिए खास है
उसकी आँखें जो कहानी कहती है
उसका मुझे आभास है
न जाने उसे और जानने का मौका कब मिलेगा
उसे पहचानने का मौका कब मिलेगा
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