अकेला तो नहीं था पर आज अकेला हो गया हूं,
दुख के इस दर्द में आज दिन के उजाले को खो दिया हूं।
जीना चाहता था संग तुम्हारे पर बिन तुम्हारे जी रहा हूं,
भाग दौड़ की इस जिंदगी में मैं बहुत पीछे होते जा रहा हूं।
अकेला तो नहीं था पर आज अकेला हो गया हूं।,
दुखों के इस दर्द में आज दिन के उजाले को खो दिया हूं।
आंखों की पुतलियां भी अब सूख गई हैं,
आंसू की सिसकियां भी अब रुक गई है।
दिन का उजाला भी अब डूब गया है, रात का घनघोर अंधेरा अब छा गया हैं,
अकेलापन अब मुझे सताने लगा है।
बिन तेरे अब मैं जी ना पाऊं इतना भी कमजोर नहीं,
पर दिल से तुझे भूल जाऊं इतना बड़ा भी मैं चोर नही।
अपनी बेबसी पर मुझे आज तरस आ गया,
अकेला तो नहीं था पर अकेला होना पड़ गया।
- अविनाश सिंह