Avinash Shukla   (Avinash Shukla""Ashirwad"")
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कुछ सुनने,कुछ कहने और बहुत लिखने की ख्वाहिश
Joined 4 June 2017


कुछ सुनने,कुछ कहने और बहुत लिखने की ख्वाहिश
Joined 4 June 2017
15 NOV 2021 AT 17:33

इंतजार से झुकी इन आंखों में कुछ ख्यालात चाहता हूं

मेरी नज्म को पढ़ने वाले तुझसे एक मुलाकात चाहता हूं ।

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28 AUG 2021 AT 18:05

एक खेलती है गुड़ियों से खाना खाकर जी बहलाने को
एक बेचती है गुडियों को अपने घर का खाना लाने को।

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3 AUG 2021 AT 20:22

तुम्हारे शहर में बेशुमार वक़्त बिताया
पर सच में कोई तुम सा नहीं निकला।
हम दोनों की ही अब भी साँसे जारी है
हम दोनों का ही वादा झूठा निकला।

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24 JUL 2021 AT 20:41

विरह में बज रहे घुंघरू की झंकार जैसी हो
लहर देती नदी को साज उस अंदाज जैसी हो।

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4 JUL 2021 AT 22:47

आंख है कि अब खुलने का नाम नही लेती
एक तुम जो ख्वाबों में आने को तैयार नहीं।

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11 MAY 2021 AT 19:48

मैं देखता रहा और ये सारा जहाँ बदल गया
जैसे किसी परिंदे का आसमान बदल गया।
नजर से दिल के सफर में मैं चलता रह गया
मंजिल तक पहुँचने से पहले ही मक़ाम बदल गया।

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9 JAN 2021 AT 9:22

एक अद्भुत कहानी छिपी रह गयी
प्रीत के अंश को मैं भी पढ़ न सका।
कुछ तो बाकी रहा हर कथन में मगर
तुम भी कह न सकी मैं भी सुन न सका।

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31 OCT 2020 AT 19:22

कुछ हाल तुम्हारा सुनना है कुछ बात तुम्हें बतलानी है
आंखों की कोरों से ढलते हर आंसु की कोई कहानी है ।
अब याद तुम्हारी सीने में कुछ दबी दबी सी रहती है
अब भी तुमसे मिलने में कुछ तो आनाकानी है ।
मेरे ख्वाब की हर सूरत तुम से मिलती जुलती है
तुम उसको कोई गैर है समझो यह तो बड़ी नादानी है।
रोक रखे हैं दिल के आंसू हम पर बोझ बहुत ही भारी है
तेरे दिल की हर इच्छा को हमने तकदीर ही मानी है।

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13 OCT 2020 AT 20:04

तुम्हें अपना बनाना भी सच कहो क्या सहज है
ये हालत है नुमाइश की या धोखा महज है।
यकीनन दश्त के मारे हम बेजुबान परिंदों का
किसी सुखी हुई टहनी का सहारा भी शजर है।

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25 SEP 2020 AT 22:19

उदासी समुद्र की लहरों के समान होती है जब यह मन को छूती है तो साथ में छूते हैं बहुत से भाव जिनमें विषाद भी होता है। ये लहरें जब वापस लौटती है तो यह भाव की लौट जाते हैं पर विषाद की रेख रह जाती है ठीक उसी प्रकार जैसे रेत पर लहरों का निशान!

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