Avinash Shriwas   (#Gumshuda_Shayar)
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Joined 2 January 2022


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3 MAR AT 9:02

अब कोई डगमगाता चेहरा नहीं दिखता मुझे,
मैं छोड़ आया हूं मयखाने की गलियों को।।

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1 MAR AT 11:19

मेरे घर के बगल में उसका बसा शहर,
खातिर उसकी खुशी के है बना शहर,

हसीं रात, हसीं लम्हें और हसीं यादें,
तब जाकर शायर ने फिर रचा शहर,

एक जंग में थे शामिल रकीब उसके,
बाद ले देकर जंगबंदी से बचा शहर,

इश्क की गलियों में कई मरे आशिक,
एक शख्स बचा तब हां जगा शहर,

कभी तो ढूंढ तेरा भी ठहराव गुमशुदा,
कहा तेरा घर और बगल में कहां शहर।

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1 MAR AT 10:28

कभी तो किसी की कद्र करो,
हमेशा रूखापन अच्छा नहीं,

सजाओं लम्हें तो सोचें कभी,
तुम्हारा अकेलापन अच्छा नहीं।

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29 FEB AT 15:11

ना जाने क्यों इतना संजीदा हुआ मैं,
तुझे जानकर तुझपे फिदा हुआ मैं।।
कुछ मेरे हिस्से भी तो आता सोच,
बेवजह, बेमतलब, बेवफा हुआ मैं।।

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