28 JUN 2019 AT 9:27

उसूलों पर जहां आंच आये टकराना जरूरी हैं,जो जिंदा हो अगर तो जिंदा नजऱ आना जरूरी हैं(वसीम बरेलवी)

- अविनाश रौनियार